जन्म दे सवारती सु मातु प्यार से दुलार, मात के ममत्व को कभी नहीं विसारिये| आन वान शान मान प्राण को करें निसार, मात के महत्व को सदा हिये विचारिये|| धर्म मर्म धीर पीर प्रेम प्यार स्नेह नीर, […]
arpan jain
अर्पण जैन ‘अविचल’ ये उँची-लंबी, विशालकाय बहुमंज़िला इमारते, सरपट दौड़ती-भागती गाड़ीयाँ, सुंदरता का दुशाला औड़े चकमक सड़के, बेवजह तनाव से जकड़ी जिंदगी, चौपालों से ज़्यादा क्लबों की भर्ती, पान टपरी की बजाए मोबाइल से सनसनाती सभ्यता, धोती-कुर्ते पर शरमाती और जींस पर इठलाती जवानी, मनुष्यता को चिड़ाती व्यवहारशीलता, मेंल-ईमेंल में […]