हिंसा की आग में कैसी यह सोच तोड़कर पूर्वजों की मूर्तियां जता रहे अफसोस। —————- नफरतों के दौर इतने न बढ़ने पाए सलामत रहे जिन्दगी दुआ सलाम फरमाए। ——————- जीवन के कालचक्र सभी को उलझाए आसमान में उड़ने वाले एक दिन जमी पर आए । ——————- सब दिन न रहे […]
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संस्कृति की जन्भदात्री है, यह हमारा देश। अलग-अलग धर्म है,तनिक भी नहीं द्वेष।। ऋषि मुनि गुरूजन का , संस्कृत था प्राण। रचते-रचते रच दिए,कितने ही वेद-पुराण।। धरा रही दानवों की,भूल गयी संस्कृति। हिंसात्मक न सोच हो, ना फैलेगी विकृति।। संस्कृत से समाज का,कालान्तर से उद्धार। नित-दिन उजागर हो,सभ्यता का द्वार।। […]