माँ, मातृभूमि और मातृभाषा का कर्जदार राष्ट्र का प्रत्येक निवासी है, और इसी कारण ही राष्ट्रवासी अपने सेवा के भाव को जीवित रखते है। हिंदी न केवल एक भाषा मात्र है बल्कि भारत की सांस्कृतिक अखंडता के परिचय का दूसरा नाम है। ‘एक राष्ट्र- एक राष्ट्रभाषा’ के सिद्धांत में ही भारत […]