प्रियतम अपनी प्रेम कहानी, लगती है कोई प्रीत पुरानी। जनम-जनम की चाहत अपनी, मैं हूँ तेरी प्रेम दिवानी। तू मेरे मैं तेरे दिल में, मिलकर हमने प्रीत निभानी। संग में साजन तुम जो रहते, लगती फिर है शाम सुहानी। भूलूँ चाहे सारे जहाँ को, नही तुम्हारी प्रीत भुलानी। हँसते-हँसते जीवन […]

शहीदों पर लरजता दिल संभालूं तो चलूं, अश्रु उनके परिजन के छुड़ा लूं तो चलूं। अपनों में कई रंग भाते नहीं ‘निर्झर, सबको इक रंग में रंग लूं तो चलूं। अबकी होली कुछ इस तरह मनाई जाए, भ्रष्टाचार उन्मुक्तता होली में जलाया जाए। हो रहे बदरंग रिश्ते ‘निर्झर’ इस संसार […]

फागुन अब मुझे नहीं रिझाता है, जबसे शब्द कोषों में.. प्यार की परिभाषा बदल गई। जबसे रंग भूल गए अपनी असलियत, जबसे तुम्हारी मुस्कान कुटिल हो गई.. जबसे प्यार के खनकते स्वर कर्कश हो गए, तबसे फागुन अब मुझे नहीं रिझाता है। जबसे रिश्तों में पैबंद लगने लगे, जबसे प्रेम […]

हे नारी शक्ति , आज स्वतंत्र हो तुम। पढ़ लो जितनी चाहे शिक्षा, आज नहीं देना पड़ती सीता की भाँति अग्नि परीक्षा। चढ़ो हिमालय की चोटी पर, अपना तिरंगा लहराओ। जुड़ कर ईसरो से, चाँद पर जा अपना परचम फहराओ। या फिर मदर टेरेसा बन करो दीन-हीन की सेवा, या […]

1

होती सबको प्यारी बेटी, सबकी राजदुलारी बेटी.. गुड़िया को बहलाती बेटी, जीवन को महकाती बेटी। सपनों को चहकाती बेटी, रिश्तों को समझाती बेटी.. कलियों-सी खिल जाती बेटी, मुझसे जब मिल जाती बेटी। सपनों में मुस्काती बेटी, माँ को नाच नचाती बेटी.. पापा काँधे चढ़ती बेटी, उमर लांघकर बढ़ती बेटी। यौवन […]

स्वर्ग सिधारे पिताजी, बेटा निभा रहा है फर्ज.. धीरे-धीरे उतार रहा है, पिता का लिया–कर्ज। कर्ज में वह पैदा हुआ, कर्ज में ही मर जाएगा.. कर्ज चुकाने के लिए, फिर कर्ज कर जाएगा। कर्ज एक ऐसा रोग है, जिसका न कोई इलाज.. घर-खेती सबकुछ बिके, बिक जाती है–लाज। बोल कर […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।