मैं तुम्हारी उर्मिला अशेष, चौदह बरस निर्मिषेष। एक दीप के सहारे, काटे मैंने बिना तुम्हारे।। तुम तो अक्षुण्य हो गए, भ्रात सेवा कर धन्य हो गए। मेरा किसी ने जिक्र न किया, तुम बिन कैसे-कैसे रही मैं पिया।। क्या इस चुप्पी पर बोलोगे! क्या भ्रात धर्म से मुझे तौलोगे? सीता […]

एक बहुत बड़े संत का धार्मिक आयोजन हो रहा था। पूरे शहर में पोस्टर-बैनर पटे पड़े थे। बहुत बड़ा यज्ञ था। सारे मंत्री-विधायक यज्ञ की देख-रेख में लगे थे। हर दिन लाखों मिट्टी के शिवलिंग बनाकर शिवार्चन हो रहा था। आसपास के खेतों से टनों मिट्टी लाई जा रही थी। […]

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एक अप्रैल को ही मूर्ख दिवस क्यों मनाते हैं, तीन सौ चौसठ दिन क्या होशियार हो जाते हैं? मुझे तो बचपन से मुर्ख बनाया जा रहा है, चांदी के बदले गिलट का टुकड़ा पकड़ाया जा रहा है। छोटे में माँ से कोई चीज मांगता था,रोता था, माँ बहला देती थी,नहीं.. […]

दिल गम से टूटा है, चलो हम मना लें उसे.. टूटा है आइना किरचों में, करीने से सजा लें उसे। आइना है कविता मेरी, तेरे उन सवालों का.. जो उलझे हैं बेतरतीब, जेहन में गर्द जालों का। हर अक्स आईने में, अजनबी-सा लगता है.. दिल को बचाकर रखना, वो टूट […]

सुनो प्रहलाद,कैसे लगाऊं तुम्हें रंग अबीर, घिरे हो तुम असंख्य होलिकाओं से.. क्या जला सकोगे इन्हें अपनी बुआ की तरह, राजनीति में षड्यंत्र को होली को। शिक्षा को सरे बाजार बेचती होली को, गाँवों को उजाड़ शमशान बनाती होली को। शहरों को कांक्रीट जंगल बनाती होली को, पेड़ों पर आरी […]

फागुन अब मुझे नहीं रिझाता है, जबसे शब्द कोषों में.. प्यार की परिभाषा बदल गई। जबसे रंग भूल गए अपनी असलियत, जबसे तुम्हारी मुस्कान कुटिल हो गई.. जबसे प्यार के खनकते स्वर कर्कश हो गए, तबसे फागुन अब मुझे नहीं रिझाता है। जबसे रिश्तों में पैबंद लगने लगे, जबसे प्रेम […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।