आज पुराने किस्सों को फिर नये सुरों में दोहराना है ये आज़ादी का कोरस है हम सबको मिल के गाना है अपने दिल की बात कह दूँ सबसे आज मुझे तिरंगा सबसे प्यारा सूरज तक इसे पहुँचाना  है हुई सुबह तो पंछी जागे मीठे गीत सुनाते हैं उन गीतों में […]

  चेहरों की चौखटों पर चिपके हुए रिश्तों के इतिहास बड़ेबेमानी लगते हैं लेकिन जब अविश्वास के हाथों विश्वास सूली पर चढ़ा दिया जाता है तो एहसासों के आइने चकनाचूर हो जाते हैं चाहतों की वो चौड़ी सड़कें पगडंडियों में तब्दील हो जाती हैं विश्वास की चट्टानें पिघलकर आंसुओ का […]

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शुरुवात एक बहुत छोटी सी स्मृति से करना चाहता हूँ, हम 14 वर्षों तक किराए के 2 कमरों के मकान में रहे और चाह कर भी कई भौतिक सुविधाओं का सुख स्थान के अभाव में नही ले पाए।अगर हमलोग किसी भी वस्तु के बारे में सोचते भी तो उसमें तमाम […]

रात ही है जो दिन के लिए चुनौती है दिन लगातार पीछा कर रहा है रात का यह है कि तंग कर रही है क‌ई बार बहुत लंबी हो जाती है लोग हैं कि इसे पार कर लेते हैं अलबत्ता मैं एक रात की नदी में बह रहा हूं सदियों […]

“ताजी हरी सब्जी ले लो” रोज की तरह सब्जी बेचने वाली मीना की आवाज़ अपने नियत वक्त पर मोहल्ले में गूँज उठी। नन्ही इशा झट से दरवाजे की ओर दौड़ पड़ी और मीना को रोकते हुए बोली- सब्जी वाली चाची रुकिये, रुकिये। इशा की माँ अनु ने मीना को जाने […]

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फुटपाथों पर नंगे बदन, कचरे बीनते नन्हें कदम दो पल की खुशी के जतन में, जब बिकती कोई बेटी नादान तब लगता है मरुं मैं,अथवा मारुं पीड़ा, दुःख गरीबी-भूख का कीड़ा। ये समाज की बंदिशें,ये लाचार से लोग, कब मिटेगी क्लान्ति इन धूमिल से चेहरों की, सामान्य,पिछड़ा,अति पिछड़ा, अल्पसंख्यक आदि […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।