आओ सैर कराँ दौसा की, नामी बड़गूजर धौंसा की। सूप सा किल्ला दौसा की, नीलाकंठाँ   दौसा     की। गाँवा कस्बाअर् शहराँ की, देव  नगरी  दौसा ..की. यातो जिलो बड़ो ही  नामी, ईंका माणस  भी सर नामी। पचपन याद करै बचपन की मनसां पढ़ बा लिख बा की। आपणै    साक्षर दौसा  की, […]

कहाँ गए भगवान् सुना है बड़े बुज़ुर्गों से कण कण में बसते हैं भगवान पर न जाने मंन क्यों सोच रहा कि कलयुग में कहाँ गए भगवान जब सुनती थी दादी और नानी कोई किस्सा या कोई कहानी हर किस्से में था यही बखान कण कण में बसते है भगवान […]

सावन आवन कह गये,धनके लोभ विदेश। प्रीत रीत भूले  सभी , तन मन रहे  कलेश। तन मन रहे कलेश, रात दिन नींद न आवे। लग जाए कहिँ  नैन , रैन  में सपन सतावे। “लाल” पपीहा मोर,शब्द दादुर मन भावन। प्यासी चातक देख, निहारूँ आवन सावन। .        2.  *पावस*. पावस  सावन मास […]

1. पालन पोषण पेड़ प्रिय,परम्परा पितभाँति। पर्यावरण प्रतीत पर, पंछी पथिक  पदाति।। 2. पौरुषपथ पहचान पुरु,पूत पेड़ प्रतिपाल। प्रतिघाती पर्यावरण, पातक  पड़े पताल ।। 3. पल पल प्रण पूरा पड़े,पर्यावरण प्रदाह। पान पताशा पाहुना, पूजन पेड़  प्रवाह।। 4. पेड़ पर्वती पर्यटन, पथजलीय पतवार। परमेश्वर पति पार्वती,पर्यावरण प्रसार।। 5. पेड़ परिक्रम […]

जिन्दगी तेरी अमानत समझ कर जी रहे। जिन्दगी तेरे लिये ही समझ कर जी रहे। मौत और जिंदगी के बीच का यह फासला,  हो रही तेरी  इबादत समझ कर जी रहे। मुक्तक बाँसुरी में कान्हा ,गीत प्रीत के गाते रहे। गौ गोपी संग ,ब्रज के कण- कण को लुभाते रहे। […]

हे,मनुज विश्व में,पृथ्वी पर जीवन है जितने। पर्यावरण हित क्या पृथ्वी पर वृक्ष है उतने। पृथ्वी पर जल जीवन वायु,सब साज सजे है। पर्यावरण को भूल मनु ने कितने कृत्य सृजे है ईश,प्रकृति,मानव निर्मित,ये सब जो आवरण चहुँमुखी अर्थ भला सब मिल होते पर्यावरण विकास के निमित्त,नितनूतन इतिहास रचाए इसी […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।