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जिन्दगी तेरी अमानत समझ कर जी रहे।
जिन्दगी तेरे लिये ही समझ कर जी रहे।
मौत और जिंदगी के बीच का यह फासला,
हो रही तेरी इबादत समझ कर जी रहे।
मुक्तक
बाँसुरी में कान्हा ,गीत प्रीत के गाते रहे।
गौ गोपी संग ,ब्रज के कण- कण को लुभाते रहे।
अनीति के विद्रोह पर ,फूँक शंख रणघोष का ,
उठा चक्र ऊँगली में आततायी मिटाते रहे।
#पुष्पा शर्मा
परिचय: श्रीमती पुष्पा शर्मा की जन्म तिथि-२४ जुलाई १९४५ एवं जन्म स्थान-कुचामन सिटी (जिला-नागौर,राजस्थान) है। आपका वर्तमान निवास राजस्थान के शहर-अजमेर में है। शिक्षा-एम.ए. और बी.एड. है। कार्यक्षेत्र में आप राजस्थान के शिक्षा विभाग से हिन्दी विषय पढ़ाने वाली सेवानिवृत व्याख्याता हैं। फिलहाल सामाजिक क्षेत्र-अन्ध विद्यालय सहित बधिर विद्यालय आदि से जुड़कर कार्यरत हैं। दोहे,मुक्त पद और सामान्य गद्य आप लिखती हैं। आपकी लेखनशीलता का उद्देश्य-स्वान्तः सुखाय है।
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