पाखण्ड ही तो है जो ये तुम रोज खुद को समझाते हो, फल में देरी कहाँ है क्यों इस झूठ से खुद को बहलाते होl परिश्रम तो करो इन हाथों से, जिन्हें तुम रोज प्रार्थना के लिए उठाते होl परिणाम के बारे मे क्यों सोचते हो, पहले खुद को […]

कभी-कभी कैसे बुलबुले उठते हैं मन में,कुछ बड़े तो कुछ छोटे..जैसे मन में कुछ खौल रहा होl तमाम तरह के वैचारिक बुलबुले उभरते और फटते हुए..। कहीं पढ़ रही थी कि,मनुष्य चाहे जितना भी व्यस्त क्यों न हो, एक निश्चित समय उसे खुद के साथ बिताना चाहिए, अच्छा लगता है […]

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परिदृश्य परिवर्तित हो गया इसका, जिसकी अठखेलियों का सम्मोहन कभी सूर्य की किरणों को अल्पकालीन निद्रा में डुबा देता था। जिसके आगमन पर चंद्र भी बादलों का आवरण हटा देता था, जिसका एहसास मात्र दोहरे शुष्क नयनों को नम कर देता था.. जिसका अवलोकन मात्र ही ह्रदय आघात को कम कर देता […]

बेबस है एक आवाज, लोगों के जर्जर तहखाने में व्याकुल हो उठती है जब कभी कोई, शोर सुनाई देता है डरी हुई,थोड़ी सहमी-सी इन महानगरों के दोहरे आचरण से, जहाँ असत्य का आधिक्य है जहाँ सत्य का मुद्रा से विनिमय उसकी आँखों के सामने होता है, जहाँ हर रोज कोई […]

`राधा रूठ गई कन्हैया से, कह डारी कितनी ही कड़वीं बतियां मनबसिया से।  कहे राधा नयनन् में भर के आंसुअन की धार, कहो कन्हैया का देखो तुम इन गोपियन में, अऊर हो जात हो निढाल?  जिया मोर सुलग जाए सुन तुम्हरी रसीली बतियां, ए कन्हैया! काहे तुम रस बरसाओ इन […]

प्रतिदिन सोशल मीडिया पर नारी की फटी-चीथड़ी,आंखों में आंसू और गोद में बिलखते बच्चों की तस्वीरों और अत्यन्त दारूण सामग्री को देखते-देखते मैं थक चुकी हूँl ऐसा नहीं कि,मैं समाज में हो रहे नारी शोषण की पक्षधर हूँ। मैं भी एक नारी हूँ,और इस तरह की नारी के प्रति हो […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।