कृष्ण कन्हैया श्याम है,मोहन ब्रजगोपाल। दीनबंधु राधारमण,दुखहारक नंदलाल॥ समान अर्थ के शब्द में,भाषा का है ज्ञान। शब्दों की कर साधना,कहते कवि मसान॥ सरस्वती भारती माँ शारद। ब्रह्मासुत ज्ञानीमुनि नारद॥ पवनतनय कपिपति हनुमाना। राघव रघुवर राजा रामा॥ वानर बंदर मरकट कीशा। भगवन ईश्वर प्रभु जगदीशा॥ अम्मा जननी अम्बा माता। पाँव चरण […]
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रससुजान रसखान है,मीरा के पद पूर। सुर-सुरा साहित्य लहरी,ग्रंथ रचे हैं सूर।। अष्ट छाप वर्णन किए,राधेश्यामा गीत। गली-गली गावत फिरे,मुरली में संगीत।। कृष्ण चतुर परमानन्द,गोविंद कुंभनदास। सूर नंद अरु छीतकवि,अष्टछाप के खास।। (‘हिन्दी दोहावली’ के इतिहास खंड भक्तिकाल से दोहा) #डाॅ. दशरथ मसानिया Post Views: 423