पर्यायवाची शब्द चालीसा

1 0
Read Time2 Minute, 46 Second
dashrath
कृष्ण कन्हैया श्याम है,मोहन ब्रजगोपाल।
दीनबंधु राधारमण,दुखहारक नंदलाल॥
समान अर्थ के शब्द में,भाषा का है ज्ञान।
शब्दों की कर साधना,कहते कवि मसान॥
सरस्वती भारती माँ शारद।
ब्रह्मासुत ज्ञानीमुनि नारद॥
पवनतनय कपिपति हनुमाना।
राघव रघुवर राजा रामा॥
वानर बंदर मरकट कीशा।
भगवन ईश्वर प्रभु जगदीशा॥
अम्मा जननी अम्बा माता।
पाँव चरण पग पद अरु पादा॥
सोम सुधाकर शशि राकेशा।
राजा भूपति भूप नरेशा॥
पानी अम्बु वारि पय नीरा।
हवा पवन अरु वायु समीरा॥
दिवा दिवस दिन वासर वारा।
पर्वत अचला शैल पहाड़ा॥
विश्व जगत जग भव संसारा।
घर गृह आलय अरु आगारा॥
अग्नि पावक आगा दोहन।
चक्षु आँखा नयना लोचन॥
विषधर सर्पा नाग भुजंगा।
घोड़ा घोटक बाजि तुरंगा॥
हिरन मिरग सुरभी सारंगा।
गज हाथी करि नाग मतंगा॥
वस्त्र वसन अम्बर पट चीरा।
तोता शुक अरु मिट्ठू कीरा॥
दुग्धा दूध पय अरु क्षीरा।
गात कलेवर देह शरीरा॥
शेर केशरी सिंह वनराजा।
 सुरपति  इन्द्रा देवसमाजा॥
अमी सुधा अमरत मधु सोमा।
 नभ अम्बर आकाशा व्योमा॥
दानव राक्षस दैत्य निशाचर।
नीरज पंकज अरविंद इन्दीवर॥
असि तलवार खडग किरपाला।
आम्र आमा अमिय रसाला॥
पुत्र तनय सुत बेटा पूता।
कोयल कोकिल पिक पर भूता॥
बेटी पुत्री सुता आत्मजा।
यमुना कालिन्दी भानुजा॥
रक्त लहू शोणित अरु खूना।
पुष्प सुमन गुल फूल प्रसूना॥
विष्णु चतुर्भुज हरि चक्राधर।
वारिद बादल नीरद जलधर॥
बिजली चपला तड़िता दामिनि।
रात निशा रजनी अरु यामिनि॥
भौंरा मधुकर षट्पद भृंगा।
खगपक्षी द्विज विहग विहंगा॥
मित्र सखा सहचर सह मीता।
घी घृत अमृत अरु नवनीता॥
रक्तनयन  हारित कबूतर।
चोर खनक मोषक रजनीचर॥
अम्बुधि नीरधि पयोधि सागर।
सूरज भानु सूर्य दिवाकर॥
सर तालाब सरोवर पुष्कर।
आशुतोष शिव शम्भू शंकर॥
सिया रमा अरु जनकदुलारी।
औरत नारी अरु घरवारी॥
पानी के पर्याय में,दधिजा का रख ध्यान।
बादल सागर अरु कमल,कहते कवि मसान॥
 #डाॅ. दशरथ मसानिया

matruadmin

Average Rating

5 Star
0%
4 Star
0%
3 Star
0%
2 Star
0%
1 Star
0%

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Next Post

पावन गंगा

Sat Dec 2 , 2017
गंगा मैया तुम्हें प्रणाम,ले ले जाएं हम तो नाम, जय जय गंगा मैया,जय जय राम,राम, राम। पतित पावनी गंगा देखो,कितनी है ये  पावन, उतर गए जो पानी में,लगे नीर मनभावन। न हो मन निकलने का तो,स्नान करे दिन -शाम, गंगा मैया तुम्हें प्रणाम,ले ले जाएं हम तो नाम। जय जय […]

पसंदीदा साहित्य

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।