जिंदगी गुजर रही हो, आपकी निरोग तो। मान लेना कि स्वर्ग में हो। मत होना कभी उदास? ये सोचकर कि में, दौलत नहीं कमा पाया। पर मिला जो वो दौलत, से भी बड़ी दौलत है।। जीवन अनमोल है, नसीब वाला भी है। जो निरोग होकर, जीने को मिला है। मानो […]

हूँ जो कुछ भी आज मैं, श्रेय में देता हूँ उन शिक्षकों। जिन्होंने हमें पढ़ाया लिखाया, और यहां तक पहुंचाया। भूल सकता नहीं जीवन भर, मैं उनके योगदानों को। इसलिए सदा में उनकी, चरण वंदना करता हूँ ।। माता पिता ने पैदा किया। पर दिया गुरु ने ज्ञान। तब जाकर […]

कर्मो की गठरी बांध के सिर पर, भटक रहे है भवसागर में। आत्मकल्याण के बारे में, कुछ नही हम कर रहे हैं।। करते रहे फरेब जीवन भर, लूटते रहे तुम लोगो को। क्या तुमने खोया है लोगो, क्या तुमने यहाँ पाया है। खुद का आकंलन खुद तुम करो। सत्य तुम […]

मान अभिमान के चक्कर में, कितनो के घर उजड़ गए। हंसते खिल खिलाती जीवन, इसकी भेंट चढ़ गये। फिर न मान मिला, न सम्मान मिला। मन में पैदा हो गया अभिमान, जिसके चलते टूट रहे बहुतों के परिवार।। इसलिए हमें न मान चाहिए, न सम्मान चाहिए। बस आपस का, प्रेम […]

दोस्त मुझे जल्दी, समझ नहीं पाते। समझने से पहले ही, उम्मीदें लगा लेते। जब वो पूरी न, हो सके तो। मुझे बहुत भलाबुरा, वो कह देते।। जिंदगी का अभीतक, तो यही हाल हैं। सभी अपनी जिंदगी से, मानो परेशान हैं। पर ये मतलब नहीं, कि जीना छोड़ दे। और अपनी […]

जाने क्या बात थी उस मुलाकात में। चाँद झर झर बहा चाँदनी रात में । हम हो गए दीवाने तेरे पहली मुलाकात में। चमकता चाँद जैसा चेहरा निकला है चांदनी रात में। कैसे बुलाऊ तुम्हे अपने पास में। क्योंकि कितने देख रहे है तुम्हे इस चाँदनी रात में।। चाँद झर […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।