किसी ट्रेन की खिड़की से भला किसी शहर के पल्स को कितना देखा – समझा जा सकता है। क्या किसी शहर के जनजीवन की तासीर को समझने के लिए रेलवे ट्रेन की खिड़की से झांक लेना पर्याप्त हो सकता है। अरसे से मैं इस कश्मकश से गुजर रहा हूं। जीवन […]

रक्षा बंधन का पावन पर्व आया है, बहिना की राखी का स्नेह लाया है | कच्चे  धागों  का  अटूट  बंधन  आया  है, हुमायुं-कर्मवती की याद का पर्व आया है | बहिन की रक्षा के लिए राखी का स्मृण आया है, आओ प्यारे भैया बहिनों ने फिर तुम्हें बुलाया है | […]

आपदा प्रबंधन विभाग के अधिकारी  राघवेन्द्र ने मंत्री जी से कहा -“सर! हर साल बाढ आती  है, हजारो लोग मारे जाते हैं, देश को अरबों -खरबों का नुकसान होता है, इसका कोई स्थायी निदान क्यों नही निकाला जाता? ” मंत्री महोदय राघवेंद्र जी को घूरते हुए-“हीं……..,तो है तुम्हारे पास कोई […]

भारत की माटी के कण-कण में महक तुम्हारी | जन – जन  के कल्याण की जननीति तुम्हारी || सदा सुगंधित रहेगी यादों की बगिया प्यारी-प्यारी | गौरवपूर्ण आस्था संविधान में रही हमेशा तुम्हारी || अद्भुत – मनमोहक,  शुद्ध – सरल  कवि  हृदय  ‘अटल’ | माँ भारती के सच्चे सेवक, हिंदी […]

देती सम्मान मर्यादा रहे गर हमारी दृष्टि।।1 नियत अच्छी बरसते सुमन दिखाती दृष्टि।।२ उनकी दृष्टि करती विचलित लाये बहार।।३ दुखित मन दिनभर उदास टीसती दृष्टि।।४ #नवीन कुमार भट्ट परिचय : पूरा नाम-नवीन कुमारभट्ट उपनाम- “नीर” वर्तमान पता-ग्राम मझगवाँ पो.सरसवाही जिला-उमरिया राज्य- मध्यप्रदेश  विधा-हिंदी Post Views: 480

नफ़रत नहीं दिलों की मिठास को छू लें आओ कि आकाश को छू लें बेदर्द सा जीने की गुज़ारिश न कर कोई ऑक्सीजन के मोहताज को छू लें उसके हुनर पे जल-जल बैठने से अच्छा कभ जीत की उल्लास को छू लें मन ताज़ा हो बग़ीचा में टहलकर सुबह अछूत का बच्चा उदास को छू लें अच्छा नहीं निकलना मुँह देखकर तुम्हारा पाखण्ड के सताए खरमास को छू लें परिंदे जात भूल जाते हैं विमान देखकर आओ कि आकाश को छू लें ना मज़हब होता ना दिलों से दूरियाँ अगर थोड़ा-थोडा बर्दाश्त को छू लें लूटा दिए हैं जुए में सारे मोहरे अब तक कभी दिल जीतने की ताश को छू लें ज़माने से बेख़बर को भी सपने दिखाया कर आओ कि आकाश को छू लें नाम:राजीव कुमार दास पता: हज़ारीबाग़ (झारखंड)  सम्मान:डा.अंबेडकर फ़ेलोशिप राष्ट्रीय सम्मान २०१६ गौतम बुद्धा फ़ेलोशिप राष्ट्रीय सम्मान २०१७ पी.वी.एस.एंटरप्राइज सर्वश्रेष्ठ रचनाकार सम्मान १४/१२/२०१७ शीर्षक साहित्य परिषद:दैनिक श्रेष्ठ रचनाकार सम्मान १५/१२/२०१७ काव्योदय:सर्वश्रेष्ठ रचनाकार सम्मान:०१/०१/२०१८,०२/०१/२०१८,०३/०१/२०१८३०/०१/२०१८,०८/०५/२०१८ […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।