धनिया के साथे धान काटें रोज सँइया जी। चढते कुआर काहें डाँटे रोज सँइया जी।। कमर लचकावत खेत्ते जाली लेके हँसिया। बात कहें साँचे सुनील चौरसिया।। केहू बोवे गेहूँ , केहू चूसे रस – गनवा। हरिहर -पिअर खेत देखि गाना गावे मनवा।। कान्हे पे कुदारी सोभे , हाथे मे गङसिया। […]