धनिया के साथे धान काटें रोज सँइया जी। चढते कुआर काहें डाँटे रोज सँइया जी।। कमर लचकावत खेत्ते जाली लेके हँसिया। बात कहें साँचे सुनील चौरसिया।। केहू बोवे गेहूँ , केहू चूसे रस – गनवा। हरिहर -पिअर खेत देखि गाना गावे मनवा।। कान्हे पे कुदारी सोभे , हाथे मे गङसिया। […]

डरने लगी है कुमुदिनी , देखकर कमल को | कुछ समझ में न आ रहा , बेखबर जल को || जल जाना चाहती है जल में जीते – जीते | अनैतिक लहर के जहर को पीते- पीते || खिलने से पूर्व है प्राण त्यागना अच्छा | प्रदूषित सरोवर में कहाँ […]

आओ मिलकर दीप सजाएँ जगमग जगमग ज्योति जलाएँ दानवता को दूर भगाकर मानवता की कली खिलाकर वर्षों बाद पुरुषोत्तम आए आओ मिलकर दीप सजाएँ जगमग जगमग ज्योति जलाएँ एक दूजे को गले लगाकर भाईचारा का भाव जगाकर ख़ुशी -ख़ुशी से नाचे गाएँ आओ मिलकर दीप सजाएँ जगमग जगमग ज्योति जलाएँ […]

अक्सर लोग कहते हैं कि बड़े लोग कम बोलते हैं लेकिन, सच यह है कि कम बोलने लोग बड़े होते हैं वाचाल की शक्तियां बात- बात में ही बिखर जाती हैं। चिंतक की शक्तियां चिन्तन के सहारे निखर जाती हैं।। #सुनील चौरसिया ‘सावन’ कुशीनगर(उत्तर प्रदेश) Post Views: 384

नागराज की भाँति फुँफकारती हुई यह नदी पत्थरों को डँसते हुए पृथ्वी को रौंदते हुए पर्वतों के बीच से शान से चली जा रही है किस मंजिल की तलाश में? पहाड़ की छाती चीरकर सदियों से बह रही है कण-कण से कह रही है – साँसों का मूल्य समझो है […]

जिंदगी यही तो है… कुछ पूरी कुछ अधूरी… परिवार साथ है तो पूरी… और दूर, तो अधूरी… एक ऐसी प्यास जो ना बुझती कभी… ऐसी भूख जो ना लगती कभी… एक अहसास है… कुछ पाने का कुछ खोने का… यही तो है जिंदगी… कुछ पूरी कुछ अधूरी। सांसें नहीं है […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।