आओ मिलकर दीप सजाएँ
जगमग जगमग ज्योति जलाएँ
दानवता को दूर भगाकर
मानवता की कली खिलाकर
वर्षों बाद पुरुषोत्तम आए
आओ मिलकर दीप सजाएँ
जगमग जगमग ज्योति जलाएँ
एक दूजे को गले लगाकर
भाईचारा का भाव जगाकर
ख़ुशी -ख़ुशी से नाचे गाएँ
आओ मिलकर दीप सजाएँ
जगमग जगमग ज्योति जलाएँ
पापा संग बाज़ार जाकर
छुरछुरी पटाखा , लड्डू लाकर
गांव -जवार में खूब बंटवाए
आओ मिलकर दीप सजाएँ
जगमग जगमग ज्योति जलाएँ
खुशियों के लघु दीप जलाकर
तम को कोसों दूर भगाकर
सुख – शांति से सदन सजाएं
आओ मिलकर दीप सजाएँ
जगमग जगमग ज्योति जलाएँ
#सुनील चौरसिया ‘सावन’
कुशीनगर(उत्तर प्रदेश)