माना कि मां ममता की मूरत होती है, बेटियां भी लक्ष्मी की सूरत होती हैं, बेटे भी वंश के अंश कुल के गौरव होते हैं, वंश को अनंत तक ले वाले सौरभ होते हैं, लेकिन एक पिता मां का अरमान होता है, बेटे-बेटियों के लिए राम और रहमान होता है, […]

यदि औकात पर आ गया अन्नदाता, तो त्राहि-त्राहि मच जाएगी। सत्ता की गोदी में लेटे लोगों, तुम्हारी भी बूढ़ी नानी याद आ जाएगी।। पंचतत्व की भी औकात नहीं है, कि इनका कुछ बिगाड़ सकें। सब मित्र बने हैं बैठे, इन्हें नवबात सिखा सकें।। ये दुनिया के पालनहार यदि, पांव मोड़कर […]

आज देश का परिधान बदल रहा, बदल रही देश की काया है। हम जानकर भी अनजान हैं, सब समय समय की अद्भुत माया है।। देश की संस्कृति विलुप्त हो रही, विलुप्त हो रही मानवता की प्रेम सुधा। हम जानकर भी अनजान हैं, कंकड़ पत्थर की भी व्यथा कहे विसुधा।। ये […]

मुझसे हुई आखिर क्या? बात है, तुझसे कभी ना हुई मुलाकात है। अब तो तेरा दीदार पाने को, ये जीवन जैसे वनवास है।। अधूरा चांद, अधूरी रातें, अधूरी यादें, अधूरी तेरी मेरी हर बात है। तुम मुझसे दूर हुई इस कदर, तुम समझी ना कभी मेरा जज़्बात है। तू सिर्फ […]

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वो ज़िंदगी में काश दुबारा मिले कभी जैसे कि टूट कर के सितारा मिले कभी उम्मीद जागती है जो ये दिल में बारहा मौजे रवाँ है इसको किनारा मिले कभी बैठा है इंतिजार में मूरत बना कोई तरसी नज़र को ऐसा नज़ारा मिले कभी आख़िर मैं कब तलक यूँ खुदा […]

जब कभी जीवन में कुछ, गतिरोधक सा बन जाता है। एक ज्योति जीवन में तब, प्रतिबिम्ब सा दिख जाता है।। ऐसी होती है मां, वह होती है मां….. बेटे का पक्ष लेने के लिए, वह अनेक उलझनों में पड़ जाती है। बेटी का पक्ष लेने के लिए, वह दुनिया से […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।