गुजर गए जो दिन वापस लौट के आ जाओ। बहुत परेशानी है बड़े होने में, मुझे फिर से बचपन में ले जाओ॥ मुझे याद आती है , दादी की कहानी की। दादा की मेहरबानी की, पापा के प्यार की माँ के दुलार की॥ मुझे याद आती है, कागज की कश्ती […]

सीफर से तो शुरु भयो,            पहाड़ जैसा पाय। सम विषमाभाज अभाज,           संबंधी बन जाय॥ लाभ हानि के अंक में,          जीवन बना गणित। आयु तो नित घट रही,       अनुभव जुड़ता मीत॥ गुणा-भाग दिन-रात से, […]

कब तक यूँ ही मर-मर के जीते रहेंगे, हम  जिंदगी, कब तकअपने हाथों नर्क करते रहेंगे, हम जिंदगी। सब कहते हैं कि,बड़ी ही मुश्किल से मिलती है यह , तो फिर आओ हंसे-हंसाएँ,जी भर जिएंगे हम जिंदगी॥                           […]

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गूँज उठी कानों में, अजन्मी बेटी की आवाज। एक बार तो बतादो ना, मुझको मारने का राज॥ क्या? खता हुई मुझसे, या हो गई मुझसे नादानी। अपने होकर क्यों? कर रहे, हो मेरी खतम कहानी। हाथ जोड़ विनती करती, सुन लो दिल की आवाज। गूंज उठा कानों में……॥ मैं तुम्हारा […]

धीरे-धीरे कई नकाब,चेहरों से उतर गए। धीरे-धीरे कई बरस जीवन के,चूहे कुतर गए॥ बढ़ता गया दर्द न राह मिली,न राहत ही मिली। जीवन की उहापोह में,कभी इधर  कभी उधर गए॥ सूरज की तपती रश्मि ने कभी जगाया था हमें। लेकर चाँद को बाँहों में,सूनी राहों से गुजर गए॥   #दशरथदास बैरागी […]

एक चाँद घूँघट से निकला, निकला एक आसमान से। ईद मनाली यारा हमने, परसों वाली शाम से॥ संग एक सितारे थे, वो भी क्या नज़ारे थे। घूँघट में हुआ दीदार यारा, परसों वाली शाम से॥ चाँद बादलों में छिप गया, हवा से घूँघट सरक गया। उनकी हमसे हो गई आँखें […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।