भीनी-सी खुशबू लेकर सुबह उठी है, अभी अभी। कुछ-कुछ अलसाई, कुछ-कुछ जागी-सी। भोर होने से पहले ही तिमिर में जागी-सी, ताजी-ताजी-सी। पहरुए उजालों के आने हैं अंधियारों के भूत, जाने को हैं। बारिश में भीगे पंछी अभी कहाँ उड़ जाने हैं, खुली राह विस्तारों की। नए दिवस का स्वागत उजास […]

ख़्वाबों की कश्तियों में आओ कुछ और सफर कर लें, सारे जहां की दौलत हम अपने नाम कर लें। दौलत वह नहीं, जो तिजोरियों में कैद है, दौलत वह जो खुशबू,फूल,हवाओं में बिखरी है। बदलियों के आंचल से बारिशों में पसरी है, जो फुनगियों से निकली, सूरज की रोशनी में […]

तासीर हर शब्द की गहरी और अलग है, कहीं जमीं,कहीं फलक है कुछ ख्वाब हैं यहाँ, कुछ सुरखाब हैं। पेड़ भी हैं पत्ते भी, कलियाँ हैं कुछ फूलों के इंतज़ार में, मौसम-ए-बहार में क्या-क्या है यहां, कितना बताऊँ कभी घड़ी भर मिले तो बतलाऊँ। ऊपर से जो दिखे, जिंदगी वैसी […]

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सड़क भी बोलती है, बहुत कम ही सही अपने लबों को खोलती है, सुर्ख हो जाते हैं, पर शिकायत तब भी नहीं.. अपने सीने पर लगे घावों को बताती नही, बारिश का पानी भर आता है उनमें टीसता है जैसे, घावों पर नमक बरबस आपका ध्यान खींचती नही। एक पत्ते […]

  तुझको ऐ ज़िन्दगी,इक रोज़ मैं छल जाऊँगा, मौत का हाथ पकड़  लूँगा निकल जाऊँगाl   सोने-चाँदी के हज़ारों से न सींचो मुझको, मैं ग़रीबों की दुआओं से ही पल जाऊंगाl   बंद मुट्ठी का भरम आप बनाए रक्खें, और कुछ रोज़ उम्मीदों में बहल जाऊंगाl   मत सुना चाँद सितारों […]

मैं अक्सर अपनी खामोशी से बात करता हूँ, कुछ देर ठहर इत्मिनान से मुलाकात करता हूँ। वो बताती है मुझे यहाँ-वहाँ इधर-उधर की बातें, कैसे बीतती है लोगों की रातें। कुछ जागती आंखों में सपने लिए होते हैं, कुछ जागकर भी सोते हैं अपना बहुत कुछ खोते हैं। जरूरी नहीं […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।