जब-जब पड़ी बूंदे पानी की जमीं पर यूं लगा सावन की बूंदों ने दस्तक दी हो मुरझाई सी, अलसाई सी बेलो को, लताओं को हरितमा के आंचल से ढक दिया बरस कर (१) गूंजने लगा बारिश की टिमटिमाहट का गुंजन मेंढकों की टर्र -टर्र और झीगुरों के आहटों से प्रकृति […]
काव्यभाषा
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