कृष्ण – सुदामा जैसे मेरे मित्र
पग-पग पर साथ निभाते मित्र ।
महकतें आदर्श जिनके सर्वत्र
सार्थक भाव का लगाकर इत्र ॥
दोस्ती है तो जिंदगी है पवित्र
रब की ऐसी बंदगी है मित्र ।
सुख और दुःख का साथी
अंधेरे मे उजाले की बाती मित्र ।।
पढ लेना मन की किताब मित्र
मित्रता महकता गुलाब विचित्र ।
मित्रता का खजाना बेशुमार है,
जिंदगी में उपहार है सच्चा मित्र ।।
मित्रता को तोड़ न पाएं कोई तंत्र
ऐसा है सच्ची मित्रता का महामंत्र ।
बनाओं जीवन में खुशीयों के चित्र
ईश्वर भी कहें, बनें सबके ऐसे मित्र ॥
गोपाल कौशल
नागदा धार म.प्र.