संसार के कोलाहल से दूर बहुत दूर समंदर की लहरों पे बहता रवानगी की कहानी कहता बादलों की पीठ पर बैठ कर अपनी ही धुन में रहता है मेरा मन जो व्याकुलता का पर्याय नहीं है उद्विग्न मस्तिष्क का कोई राय नहीं है वो अभी भी सद्यस्नाता की भाँति सुकोमल […]

अब तुम्हारा रहम नहीं मुझे भी हिस्सेदारी चाहिए मुल्क  चलाने  के वास्ते मुझे भी भागीदरी चाहिए हर हाथ हो  मज़बूत अपने नेक इरादों को लेकर अपना भाग्य लिखने को मुझे भी दावेदारी चाहिए सदियों तक  हुआ राज़तंत्र  भेष बदल बदल कर तुम्हारी नियतों  में तो  मुझे भी ईमानदारी चाहिए न […]

कल खुद को देखा आईने में और मैं डर गया किसी का कद मेरे रिश्तों पे यूँ भारी पड़ गया जिस शाख में सिमट  कर  ज़िंदगी गुज़ारी थी आज वो जड़ समेत ही मिटटी से उखड गया जिन हसीं  पलों को  समेटा था कल जीने को वक़्त के तूफ़ान  में […]

मैं पीने को तो समंदर भी उठा लाता तेरी निगाहों से क्यों रिहाई नहीं मुझे महफ़िल झूम उठा है तेरी झलक से वो तस्वीर तेरी क्यों दिखाई नहीं मुझे वो नज़्म तेरे ही गाके मशहूर हो गया दिलकश तराने क्यों सुनाई नहीं मुझे चर्चे थे  हमारे  ही  नाम के ज़माने […]

बने-बनाए मकाँ के सब के सब हक़दार हैं पर घर बनाने  के लिए तौर-तरीका चाहिए जो भी मिला, हिन्दू या मुसलमान ही मिला इंसान बनने के लिए बतौर सलीका चाहिए माखौल ही बना देगी ज़माने की ये ज़ुल्मत जीने के लिए पढ़ा-लिखा व  सीखा चाहिए ये तूफ़ान यूँ ही किसी […]

मैं सब जानता   हूँ  तुम्हारी बदमाशियाँ तुम्हारे हुश्न की कहर ढाती अठखेलियाँ ज़ुल्फ़  है  कि  गहरा सा कोई तिलिस्म या  हैं  किसी  जादूगरनी  की पहेलियाँ मेरी कहाँ सुनती ही  हैं अब ये फ़िज़ाएं हवा,बादल,चाँद सब तुम्हारी सहेलियाँ मैं   दीवाना  न हो  जाऊँ तो क्या करूँ श्रृंगार तेरा  ऐसा   कि हो […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।