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बने-बनाए मकाँ के सब के सब हक़दार हैं
पर घर बनाने के लिए तौर-तरीका चाहिए
जो भी मिला, हिन्दू या मुसलमान ही मिला
इंसान बनने के लिए बतौर सलीका चाहिए
माखौल ही बना देगी ज़माने की ये ज़ुल्मत
जीने के लिए पढ़ा-लिखा व सीखा चाहिए
ये तूफ़ान यूँ ही किसी को रास्ता नहीं देता
मंज़िल के पाने को साथ सभी का चाहिए
गर हाथ की लकीरों में नहीं , तो ना सही
किस्मत रगों में बहती लहू में लिखा चाहिए
#सलिल सरोजनई दिल्ली
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