जल रहा जल में जलजात है आजकल, हो रही कैसी बरसात है आजकल। दर्द करता है तन नींद आती नहीं, कुछ बड़ी हो गई रात है आजकल। ऐसा लगता है कोई किसी का नहीं, स्वार्थ में मग्न जज्बात है आजकल। दूध के नाम पर सिर्फ जल बिक रहा, यह नया […]

धनी तुम तब भी रहते धन तुम्हारा कम नहीं होता, मैं कहता ही नहीं तुमसे जो तुममें दम नहीं होता। निवेदन पर हमारे पात्र में कुछ डाल देते तो, हमारी बात रह जाती हमें भी गम नहीं होता॥                         […]

भारत देश महान है, हम ऋषियों की संतान हैं.. राम कृष्ण खेले इसी धरा में, सिय उमा रही इसी चमन में.. ऋषियों मुनियों की चिंतन धरा आरोग्यम विकास का मंथन धरा, है ये भारत देश की धरा हर भारतीय जहाँ तिरंगा धरा, तिरंगा जिसकी शान है तिरंगा वीर जवानों का […]

ढूंढ रहा हूँ अपनी कविताओं को, भाड़े के कमरे के कोने–कोने में.. जहाँ कमरे के बाहर खोले गए, चप्पलों के संख्या के हिसाब से.. बढ़ जाता है किराया हर माह, ढूंढ रहा हूँ अपनी कविताओं को.. चावल,दाल और आटे के खाली कनस्तरों में, बेटी के दूध की बोतल में.. जिसमें […]

रखकर किताब दौड़ के आती हैं बेटियां, धोकर गिलास पानी पिलाती हैं बेटियां, सेवा का भाव रखती हैं निष्काम हृदय में- देखा है मैंने सिर भी दबाती हैं बेटियां। दिल से सदैव नेक मनाती हैं बेटियां, शगुनों पे शगुन रोज उठाती हैं बेटियां, किसने कहा है बेटियां होती हैं पराई- […]

एक हवा-सी चली है एक विशेष वर्ग को भड़काकर उनके हिमायती नेता बनने के चक्कर में ब्राम्हणों को विदेशी आक्रांता बताते हुए बुरा बोलने की। ब्राम्हणों को विदेशी बताने वाले स्वघोषित मूल निवासियों की मानसिक दशा देखकर यही प्रतीत होता है कि वे अपने मूल को भूल चुके हैं। स्पष्ट […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।