तू पथिक जिंदगी बढ़ते चल, जब आए राह में कोई पत्थर तू घिस-घिसकर ले अपने अंदर, तू पथिक जिंदगी,बढ़ते चल तू , बढ़ते चल तू,बढ़ते चल तू। तू बना धार को ऐसी रे, बने रहे निशान तेरे धरती पर तू बढ़ते चल, तू बढ़ते चल, तू पथिक जिंदगी बढ़ते चल। […]

उलझ गए कुछ यूँ बातों के बटवारे में, ग़ुम हुए कुछ यूँ शब्दों के उजियारे में। प्रश्न बना खड़ा है जीवन पल प्रति पल, अनसुलझे प्रश्नों के अंधियारे गलियारों में। जगमग होती आकांक्षाएं चमक चाँदनी-सी, घनघोर निशाओं के गहरे अंधियारों में। खोजा करते दिन प्रतिदिन जीवन पथ पर, आशाओं के […]

  नए ड्रेस में इठलाती, वो सुन्दर नन्हीं-सी लड़कीl चौराहे पर झूमती गाती, भाग-भागकर चलती लड़कीl छोटा फ्रॉक पहनती, लड़कों के संग खेलती लड़कीl भाई-बहनों से झगड़ती, लड़ाकी चतुर सयानी लड़कीl चंचल नटनी-सी लगती, मटक-मटककर चलती लड़कीl पेड़ों से आम चुराती, बेपरवाह-सी घूमती लड़कीl दो चोटी में स्कूल जाती, नदी पहाड़ […]

वक्त के हाथों जिंदगी, यूँ फिर से तड़प गई, भरा पड़ा है दर्द अन्दर, पर यूँ ही छिप गई। सागर में उठा था बबंडर, पर यूँ ही रुक गई, वक्त के हाथों जिंदगी, बस यूँ फिर से तड़प गई। घुटन इतनी तीव्र थी, मैं देखकर हैरान हूँ, मुझे सुनाएगी क्या […]

नज़र में हो कोई मुश्क़िल ज़माने की ग़ज़ल कहना, बहुत घबरा रहा हो दिल ज़माने की ग़ज़ल कहना। ——————— हमारी भूख के किस्से तुम्हारे इश्तिहारों में, तुम्हें लगने लगें बोझिल ज़माने की ग़ज़ल कहना। ——————— नज़र में दूर तक केवल समुंदर ही समुंदर हो, दिखाई दे नहीं साहिल ज़माने की […]

रिपु हो तम के तुम दीप, गंधुमी आभा बिखेरते दीप। हर्ष विशाद में तुम जले हो, सब के प्रिय रहे हो दीप। दर्शन अर्चन में रहे हो संग, नीरांजन में जले हो दीप। उमंग उत्सव का श्रृंगार तुम, संस्कृति की पहचान हो दीप। मस्तक सजा पावक पुँज, रजनी में तुम […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।