कविता कवि की कल्पना, किए समाहित अर्थ। निराधार कवि-कथन का, सृजन जानिए व्यर्थ॥ शब्द अनावश्यक न हो, शब्द-शब्द में अर्थ। करे समाहित प्रौढ़ कवि, देखे हो न अनर्थ॥ रहें सदय कविजनों पर, पल-पल रमा-रमेश। सत्ता निष्ठा शारदा, प्रति हो ‘सलिल’ हमेश। अपनेपन का शत्रु है, अहं दीजिए त्याग। नष्ट करे […]
sanjeev
हिन्द और हिंदी की जय-जयकार करें हम, भारत की माटी,हिंदी से प्यार करें हम। भाषा सहोदरी होती है हर प्राणी की, अक्षर-शब्द बसी छवि शारद कल्याणी की। नाद-ताल,रस-छंद,व्याकरण शुद्ध सरलतम, जो बोलें,वह लिखें-पढ़ें विधि जगवाणी की। संस्कृत-पुत्री को अपना गलहार करें हम, हिन्द और हिंदी की जय-जयकार करें हम। भारत […]