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जब तक मन में चाह थी,
तब तक मिली न राह।
राह मिली अब तो नहीं,
शेष रही है चाह॥
राम नाम की चाह कर,
आप मिलेगी राह।
राम नाम की राह चल,
कभी न मिटती चाह॥
दुनिया कहती युक्ति कर,
तभी मिलेगी राह।
दिल कहता प्रभु-भक्ति कर,
मिल मुक्ति बिन चाह॥
भटक रहे बिन राह ही,
जग में सारे जीव।
राम-नाम की राह पर,
चले जीव संजीव॥
#संजीव वर्मा सलिल
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