लाखों घर बर्बाद हो गए इस दहेज की बोली में, अर्थी चढ़ी हज़ारों कन्या बैठ न पाई डोली में। कितनों ने अपनी कन्या के पीले हाथ कराने में, कहाँ-कहाँ है माथा टेका,शर्म आती बतलाने में। क्यों टूट रहे परिवार रोज ही,क्यों फूट रही हैं तकदीरें, लोभी फिर भी खोज रहे,नित […]