शाम ढ़ल चुकी,मुझे आसमाँ के तारे ला के दे दो एक,दो नहीं चाहिए,मुझे सारे के सारे ला के दे दो जिस में छिपा सकूँ मैं अपने सारे ख़्वाब हसीन किसी गोरी के मुझे नयन कारे-कारे ला के दे दो तुम गाँव में शहर बसाने चले हो तो इतना करो मेरे […]

प्यास कब से थी मरघटों सी मेरे लबों पे तुझे पा के फिर से जीना अच्छा लगता है तेरे चेहरे पे मुस्कान की कलियाँ यूँ ही खिलती रहें तेरे लिए हज़ार ज़ख़्म भी सीना अच्छा लगता है जो भी बूँद होके गुज़रे तेरे मदभरे लबों से मुझे आवारा बादल सा […]

आज तुम मुझे नकार दोगे अपनी आत्म-संतुष्टि की भूख में गिरा दोगे मुझे मेरे शीर्ष से जो मुझे प्राप्त हुआ है मेरे अथक प्रयत्न से और तुम चोरी कर लोगे मेरे सारे पुरूस्कार जो मेरे हाथ की लकीरों ने नहीं न ही मेरे माथे की तासीर ने दी है बल्कि […]

मैं यूँ तो बेसाख़्ता होके जी नहीं सकती गर मुझे आँचल दिया है तो औजार भी दे किताबी बातों से कब मिटी है आग पेट की गरीबों को रोटी ही नहीं,आँखों में अंगार भी दे कहाँ जाएँगी ये सारी ही तालिमशुदा जवानियाँ इनके हुनर की नुमाइंदगी को कोई बाज़ार भी […]

मैं ग़मों से घिरा हुआ हूँ कई सदी से तुम आना कभी तो नज़र उतार देना माँ नहीं रही तो कमी बहुत खलती है तुम आना तो मेरा आँगन बुहार देना अँधेरों का शागिर्द ही हो गया हूँ जैसे रौशनी सा तुम मेरा जीवन सुधार देना वक़्त सारा उड़ गया […]

ये तुम्हारी जड़ता तुम्हारी अकर्मण्यता एक दिन उत्तरदायी होंगी तुम्हारे ह्रास का और कठघरे में खड़ी होंगी और जवाब देंगी सृष्टि के विनाश का परिस्थतियाँ खुद नहीं बदल जाती हैं या सम्भावनाएँ यूँ ही नहीं विकसित हो जाती हैं पूरी की पूरी एक नस्ल एक पीढ़ी को अपनी आहुति देनी […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।