लाखों घर बर्बाद हो गए इस दहेज की बोली में, अर्थी चढ़ी हज़ारों कन्या बैठ न पाई डोली में। कितनों ने अपनी कन्या के पीले हाथ कराने में, कहाँ-कहाँ है माथा टेका,शर्म आती बतलाने में। क्यों टूट रहे परिवार रोज ही,क्यों फूट रही हैं तकदीरें, लोभी फिर भी खोज रहे,नित […]

ज़ख्म हम दिल के दिखाएँ तो दिखाएँ कैसे, हो गई है जो ख़ता उसको बताएं  कैसेl  रोज़ नफ़रत की दीवारें है उठाता ये जग, दिल को फ़ित्नों से बचाएँ तो बचाएँ कैसेl  मुफ़लिसी देख मेरी जिसने भुलाया मुझको, ऐसे इंसां को वफ़ादार बताएँ कैसेl  दिल से जो इश्क-मुहब्बत को दिखावा […]

इस फ़रेबी दुनिया से बचना जरूरी हो गया है, लग रहा है सूर्य-सा जलना जरूरी हो गया हैl रात है ग़म से भरी और संग दौर-ए-ज़ाम है पर, ऐसा लगता प्यार का मिलना जरूरी हो गया हैl  कट रही है ज़िन्दगी भी अपनी कुछ तन्हाईयों में, अब गिरूँगा इश्क में,गिरना […]

हे प्रियतमा! मैं कैसे कहूँ, कुछ कहूँ या चुप रहूँ।   मैं चाहता हूँ कि, मैं कृष्ण बनूँ तुम राधा बनो, मैं राम बनूँ तुम सीता बनो, मैं रांझा बनूँ, तुम हीर बनो… लेकिन! उलझन में हूँ, कि, कहीं! तुम्हें खो न दूँ, क्योंकि? कृष्ण का प्यार, राम का प्यार […]

हे ज्ञानदायिनी माता विशवास अटल कर दो, नभ् में ,तम में, जग में,सब में कीर्ति अमर कर दो॥ अनिश्चितता को दूर भगाकर मन स्थिर कर दो, भक्ति ,ज्ञान का पाठ पढ़ाकर मेरी बु द्धि प्रबल कर दो॥ सारे संशय दूर भगाकर मन निर्मल कर दो , मा नवता की रह […]

ये ग़ज़ल है मेरी आपका घर नहीं, इसमें करवट न कोई बदल पाएगाl मैंने तेरे लिए इक ग़ज़ल लिख दिया, इसको पढ़ के मेरा दिल सम्हल जाएगाll ये ग़ज़ल….. जब तुम्हारे लिए आईना देखता, तुम हमारे ह्रदय में उतर जाती होl हुस्न का रंग तुम्हारा निखर जाता है, बातों-ही-बातों में […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।