बात-बात पर रुठना, अच्छी नहीं है बात रुठकर मुंह मोड़ना, है और भी बुरी बातl अपनत्व में मनमाफिक, नहीं होता कभी-कभी लेकिन अपनों को छोड़ना, नहीं है अच्छी बातl व्यर्थ का सोचना, गर छोड़ देंगे आप फिर अपनों से नहीं मिलेगा, कभी कोई सन्तापl स्वयं का स्वयं से, जब […]

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है तुमको रहना।रामायण की सीता का भी तो सबसे बस यही है कहना॥ लांघी थी उसने एक लक्ष्मण रेखा।फिर हुआ एक संग्राम,जो था समस्त विश्व ने देखा॥ ठहराया था सबने सीता को दोषी।क्यों नहीं देखी किसी ने राम की खामोशी॥ कर दिया खड़ा कठघरे में सबने सीता को।क्यों किसी ने कुछ नहीं कहा उस दुष्ट रावण को॥ कहती रही वो सबसे-हूं मैं अभी भी पावन।काश एक बार राम ने भी कहा होता-प्रिये उदास न हो,गलत तो था वो रावण॥ निकाल दिया सबने सीता को अयोध्या से,  किसी ने उसकी एक न मानी।राम भी खड़े थे उस भीड़ में,जो थी असल  सत्य से अनजानी॥ देनी पड़ी सीता को अग्निपरीक्षा।क्या इसी क्षण की,की थी उसने चौदह वर्ष  तक प्रतीक्षा॥ राम नाम लेते-लेते जिसका मुख नहीं था  थकता।     फिर उसी सीता के लिए थी,राम की ये कैसी बेबसता॥ रोती हुए सीता चली गई एक वन में।कहती किससे वो,आ गया था जो दुख उसके जीवन में॥ होता रहेगा नारी का,और कितना अपमान।न जाने करती रहेगी वो कितने बलिदान॥    #शिवानी गीते परिचय: लेखन में शिवानी गीते का उपनाम-वाणी है। इनकी जन्मतिथि-३ अगस्त १९९७ तथाजन्म स्थान-खरगोन(मध्यप्रदेश)हैl आप वर्तमान में इंदौर में निवासरत हैं। शिक्षा-बीए(पत्रकारिता एवं जनसंचार) है तो पेशा यानी कार्यक्षेत्र भी पत्रकारिता ही हैl लेखन के नाते ही समाज से जुड़ाव है। दैनिक अखबार में कविता प्रकाशित हुई है तो उपलब्धि यही है कि,प्रसिद्ध समाचार वेब पोर्टल पर लेख लगे […]

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बेटियाँ घर का मान होती हैं,पिता का सम्मान होती है,                                  भेदभाव न करो इनसे,आखिर ये भी इन्सान होती है। किसी ने दिलों को छुआ,तो किसी ने आसमां को,              […]

साथ निभाना, दिल मत जलाना न आजमाना। एक किताब, महकता गुलाब सजाए ख्वाब। कैसी महक, फैली दूर तलक जैसे फलक। नेक विचार, सुधरता आचार सुखी संसार। संत सत्कार, हो सपने साकार खुशी अपार। बूढ़े लाचार, नित करे पुकार मत दुत्कार। भ्रम जलते, हृदय से मिलते फूल खिलते।       […]

मुझे क्या पता, ये दुनिया कैसी है? कैसा इसका रंग है कैसी इसकी सुन्दरता। मुझे न पता, मेरी मां कैसी है? कैसा उसका रूप है, कैसा उसका चेहरा। पता है तो सिर्फ मुझे, बस इतना है पता प्यारी होगी उसकी सूरत, जब इतनी प्या री है उसकी मुझपर ममता। मुझे […]

अजब-सी है ये जिन्दगी, कभी खुशियों का त्योहार है जिन्दगी। तो कभी दुखों की हार है जिन्दगी। कभी प्यारा-सा अरमान है जिन्दगी, तो कभी पीड़ा से भरा तूफान है जिन्दगी। कभी सफलताओं का उपहार है जिन्दगी, तो कभी असफलताओं का प्रहार है जिन्दगी। कभी अमावस की रात है जिन्दगी, तो […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष, ख़बर हलचल न्यूज़, मातृभाषा डॉट कॉम व साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। साथ ही लगभग दो दशकों से हिन्दी पत्रकारिता में सक्रिय डॉ. जैन के नेतृत्व में पत्रकारिता के उन्नयन के लिए भी कई अभियान चलाए गए। आप 29 अप्रैल को जन्में तथा कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएच.डी की उपाधि प्राप्त की। डॉ. अर्पण जैन ने 30 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण आपको विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन द्वारा वर्ष 2020 के अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से डॉ. अर्पण जैन पुरस्कृत हुए हैं। साथ ही, आपको वर्ष 2023 में जम्मू कश्मीर साहित्य एवं कला अकादमी व वादीज़ हिन्दी शिक्षा समिति ने अक्षर सम्मान व वर्ष 2024 में प्रभासाक्षी द्वारा हिन्दी सेवा सम्मान से सम्मानित किया गया है। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं, साथ ही लगातार समाज सेवा कार्यों में भी सक्रिय सहभागिता रखते हैं। कई दैनिक, साप्ताहिक समाचार पत्रों व न्यूज़ चैनल में आपने सेवाएँ दी है। साथ ही, भारतभर में आपने हज़ारों पत्रकारों को संगठित कर पत्रकार सुरक्षा कानून की मांग को लेकर आंदोलन भी चलाया है।