७५वीं वर्षगांठ पर विशेष भारतीय फिल्माकाश पर आज अलौकिक दैदीप्यमान तारे की तरह गत पांच दशकों से अपने अभिनय की चहुंऔर बहुमुखी आभा बिखेरते चले आ रहे अमिताभ बच्चन की आज ११ अक्टूबर को ७५ वीं वर्षगाँठ है। एक ऐसा व्यक्तित्व,जो अभिनय रुपी शहद के कटोरे से मंद-मंद मुस्कान बिखेरने […]

नदी किनारे गांव रे, खूब चलाओ नाव रे देखो भैया, भौंरे गुन-गुन करते देखो बहना, रंग-बिरंगे फूल खिलते पक्षी बैठे,पेड़ की छांव, करते चांव-चांव रे नदी किनारे….। कोयल कूहूँ-कूहूँ गाती, तितलियाँ फर्र-फर्र आती कौवें करते,कावं-कावं रे, नदी किनारे….। टन-टन घंटी बज गई, अब चलो,शाला लग गई जल्दी उठाओ,पावं रे, नदी […]

परिवार रुपी, घर-आँगन में, जबसे लगाना, भूल गए हम, प्रेम-संस्कार की ‘बाड़’। तभी से, हम सब, बिखर गए, घर-आँगन हो गया, उजाड़ ही उजाड़। न बचा फाटक, न बची फटकी, न बचे उजालदान, न बची किवाड़ी, केवल बच गए, बन्द  ‘किवाड़’।                   […]

जीत-हार की बात नहीं, संघर्ष अभी भी जारी है, तब भी सीता हारी थी,तो अब भी सीता हारी है। कैसे कह दूँ रावण हारा,बस उसके जल जाने से, बचे हुए हैं कितने रावण,कर्मों का फल पाने से। हे राम कहो- क्या सचमुच तुमने रावण को ही मारा था, या फिर […]

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तेरी नजरों में जो हूँ तो सब कुछ हूँ मैं, तुमसे जुदा,मेरी कोई पहचान नहीं है। चाहे लाख गीत गाएं हम,मोहब्बत के, तुझ तक न पहुंचे वो कीर्तन,अजान नहीं है। पतंगे भी मर मिटते हैं,मोहब्बत में किसी की, जो इंसा का न हुआ,वो इंसान तो नहीं है। इतना क्यों अकड़  […]

  चलाकर  दौर-ए-आतिश  बना नादान रहता है। कहाँ   इंसान   खोया   है   कहाँ  इंसान रहता है॥ इबादतगाह  देवालय  न  सज़दों में उसे  खोजो। हमारी रूह के अंदर छुपा भगवान  रहता  है॥ वही  रिश्ता जीएगा  उम्र जिसमें नेक नीयत हो। उजाला भी वहीं से है जहाँ ईमान रहता है॥ मुकम्मल ज़िंदगी के […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष, ख़बर हलचल न्यूज़, मातृभाषा डॉट कॉम व साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। साथ ही लगभग दो दशकों से हिन्दी पत्रकारिता में सक्रिय डॉ. जैन के नेतृत्व में पत्रकारिता के उन्नयन के लिए भी कई अभियान चलाए गए। आप 29 अप्रैल को जन्में तथा कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएच.डी की उपाधि प्राप्त की। डॉ. अर्पण जैन ने 30 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण आपको विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन द्वारा वर्ष 2020 के अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से डॉ. अर्पण जैन पुरस्कृत हुए हैं। साथ ही, आपको वर्ष 2023 में जम्मू कश्मीर साहित्य एवं कला अकादमी व वादीज़ हिन्दी शिक्षा समिति ने अक्षर सम्मान व वर्ष 2024 में प्रभासाक्षी द्वारा हिन्दी सेवा सम्मान से सम्मानित किया गया है। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं, साथ ही लगातार समाज सेवा कार्यों में भी सक्रिय सहभागिता रखते हैं। कई दैनिक, साप्ताहिक समाचार पत्रों व न्यूज़ चैनल में आपने सेवाएँ दी है। साथ ही, भारतभर में आपने हज़ारों पत्रकारों को संगठित कर पत्रकार सुरक्षा कानून की मांग को लेकर आंदोलन भी चलाया है।