नन्हीं आंखें,बहरे कान, ढूँढ रही अपनी पहचान। तन पर मैले-फटे कपड़े , धूप रोकता नहीं मचान॥ कहते महक रहा जहान, गरीबी,बेबसी से अंजान। पढने-लिखने से वंचित, कमाने चली नन्हीं जान॥ क्योंकि घर में नहीं धान, माँ बीमार,पिता बेजान। पढ़ने-लिखने से पहले, रखना है हमें इनका ध्यान॥ […]