काम धर्म अर्थ मोक्ष चार मान कामना, समूल पाप का विनाश हो यही सुभावना। साधु संत पीर मान धर्म रीत प्रीत की, प्रतीत पाल शूर वीर धैर्य नीति पालना। काल चक्र मीत वक्र सत्य बात मान तू, सरोज के समान कीच बीच,आत्म साधना। हानि लाभ मृत्यु जन्म ईश हाथ मान […]

हल्दीघाटी समरांगण में, सेना थी दोनो तैयार। मुगलों का भारी लश्कर था, इत राणा,रजपूत सवार। भारी सेना थी अकबर की, .        सेनापती मुगलिया मान। भीलों की सेना राणा की, .      अरु केसरिया वीर जवान। आसफ खाँन बदाँयूनी भी, .     लड़ते समर मुगलिया शान। शक्ति सिंह भी बागी होकर, .     थाम […]

नीर धीर दोनोे मिलते थे, सखी-कान्ह परिहास। था समय वही,,अब कथा बने, रीत गये उल्लास। तन मन आशा चुहल वार्ता, वे सब दौर उदास। मन की प्यास शमन करते वे, पनघट मरते प्यास।। वे नारी वार्ता स्थल थे, रमणी अरु गोपाल। पथिकों का श्रम हरने वाले, प्रेमी बतरस ग्वाल। पंछी […]

   लावणी छंद* (शिल्प:-16+14=30 ,  दो दो चरणों में समतुकांत, चरणांत में लघु,दीर्घ मात्रा का बंधन नहीं होता) शस्य श्यामला इस धरती को, आओ मिलकर नमन करें। पेड़ लगाकर उनको सींचे, वसुधा आँगन चमन करें। स्वच्छ जलाशय रहे हमारे, अति दोहन से बचना है। पर्यावरणन शुद्ध रखें हम, मुक्त प्रदूषण  […]

नीर धीर दोनो के मिलन थे, राधा संग कान्हा परिहासे। था समय एक,ये कथा बने, लगते ज्यों कोरे गप्पे झाँसे। मन की प्यास शमन करते, वे पनघट अब सूने प्यासे हैं। मन की आशा, चुहल वार्ता, के सब ठीये  स्वयं उदासे हैं। वे नारी वार्ता स्थल थे जहाँ, रमणी को […]

.                         पावन पुन्य पुनीत पल,प्रणय प्रीत प्रतिपाल। जन्मदिवस शुभ आपका,प्रियतम प्राणाधार। .                         प्रिय पत्नी प्रण पालती, प्राणनाथ  पतिसंग। जन्मदिवस जुग जुग जपूँ,रहे सुहाग अभंग।। .                         प्रियतम  पाती  प्रेमरस, पाइ  पठाई  पंथ। जागत जोहू जन्मदिन,जगत जनाऊँ कंत।। .                         जनमे जग जो जानिए, जन्म दिवस जगभूप। प्रिय परिजन परिवार,पर,प्यार प्रेम प्रतिरूप। .                         […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।