देना  हो  दातार  तो, दे  शबरी   सी   प्रीत। पवन तनय सी भक्ति दे,कर्ण सरीखा मीत।। .                भ्राता देना लखन सा,यसुदा जैसी मात। राम सरीखा पुत्र हो, दशरथ जैसा तात।। .                राधा जैसी प्रिया हो,कर्ण सरीखा मीत। भाग्य सुदामा से भले,तानसेन से गीत।। .                अक्खड़ पना कबीर सा,रस जैसे रसखान। अर्जुन  […]

*मेरा* भारत हो सदा,विकसित अरु गतिमान। *राष्ट्र* भक्ति  की  भावना, संविधान  सम्मान।। .                    *भारत* अपना हो सदा, दुनिया में  सिरमौर। *रखें* मान की आन को,मिल के खाएँ कौर।। .                    *तहजीबें*  ऊँची  सदा,  सत्य  अहिंसा  राह। *मजहब* समरस हैं तभी,ईश्वर अरु अल्लाह।। .                    *हाल* सभी के हों भले ,रखलें सत अभिमान। […]

सुन्दर अपना देश है, सुन्दर जग  में  शान। वन्य खेत गिरि मेखला,सरिता सिंधु महान। सरिता सिंधु महान, ऋतु  ये हैं मन भावन। पेड़,गाय,जल,आग, इन्हे मानें  हम पावन। कहे लाल  कविराय,  बरसते  यहाँ  पुरंदर। सुन्दर सोच विचार, बोल भाषा सब सुन्दर। .                  वंदन  सुन्दर  हो  रहा, सुन्दर शुभ परिवेश। सुन्दर फल […]

*पूजा की थाली सजती है* *अक्षत पुष्प रखें रोली।* *काव्यजगत में ध्रुव सी चमके,* *कवि प्रिया,काव्य रंगोली।* .                *हिन्दी साहित सृजन साधना,* *साध करे भाषा बोली।* *कविता गीत गजल चौपाई,* *लिखे कवि काव्य रंगोली।* .                *दोहा छंदबद्ध कविताई,* *मुक्तछंद,प्रीत ठिठोली।* *प्रेम रीति शृंगार सलौने,* *पढ़ि देख काव्य रंगोली।* .              *लिखे […]

अबला  नारी  को कहे, होता है अपमान। बल पौरुष की खान ये,सबको दे वरदान। सबको दे  वरदान, ईश  भी  यह जन्माए। महा  बली  विद्वान, धीर   नारी  के  जाए। देश रीति इतिहास,बदलती धरती सबला। करें आत्मपहचान, नहीं  ये होती अबला। .                   होती पीड़ा  प्रसव में, छूट सके  ये  प्रान। जानि  गर्भ […]

 *मुगल दरबार* राणा  हर  संदेश   को, लौटाते  हर  बार। आन बान मेवाड़ क्यों,झुके मुगल दरबार। झुके मुगल दरबार,मान तज बन दरबारी। पा मनसब जागीर, चली रिश्तों की बारी। शर्मा बाबू लाल, झुके  नहीं  वे  महाराणा। एकलिंग    दीवान,  वही   मेवाड़ी   राणा।  *राम दरबार* सीता रामानुज सभी, सजे राम दरबार। हनुमत  बैठे  […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।