देना हो दातार तो, दे शबरी सी प्रीत। पवन तनय सी भक्ति दे,कर्ण सरीखा मीत।। . भ्राता देना लखन सा,यसुदा जैसी मात। राम सरीखा पुत्र हो, दशरथ जैसा तात।। . राधा जैसी प्रिया हो,कर्ण सरीखा मीत। भाग्य सुदामा से भले,तानसेन से गीत।। . अक्खड़ पना कबीर सा,रस जैसे रसखान। अर्जुन […]
bohara
*पूजा की थाली सजती है* *अक्षत पुष्प रखें रोली।* *काव्यजगत में ध्रुव सी चमके,* *कवि प्रिया,काव्य रंगोली।* . *हिन्दी साहित सृजन साधना,* *साध करे भाषा बोली।* *कविता गीत गजल चौपाई,* *लिखे कवि काव्य रंगोली।* . *दोहा छंदबद्ध कविताई,* *मुक्तछंद,प्रीत ठिठोली।* *प्रेम रीति शृंगार सलौने,* *पढ़ि देख काव्य रंगोली।* . *लिखे […]