देना है दातार तो ….

0 0
Read Time3 Minute, 3 Second

babulal sharma
देना  हो  दातार  तो, दे  शबरी   सी   प्रीत।
पवन तनय सी भक्ति दे,कर्ण सरीखा मीत।।
.               💫💫💫
भ्राता देना लखन सा,यसुदा जैसी मात।
राम सरीखा पुत्र हो, दशरथ जैसा तात।।
.               💫💫💫
राधा जैसी प्रिया हो,कर्ण सरीखा मीत।
भाग्य सुदामा से भले,तानसेन से गीत।।
.               💫💫💫
अक्खड़ पना कबीर सा,रस जैसे रसखान।
अर्जुन  जैसी   नींद  दे,  गीता  जैसा  ज्ञान।।
.               💫💫💫
रिश्ते साथी कृष्ण से, बर्बरीक  से बान।
तुलसी सा वैराग्य दे, सूरदास  सा मान।।
.               💫💫💫
कूटनीति चाणक्य सी,विदुर  सरीखी नीति।
चन्द्र गुप्त सा बल मिले, मीरा जैसी  प्रीति।।
.               💫💫💫
रावण जैसा ज्ञान दे ,हठ हम्मीर  समान।
राणा जैसी आन दे, चेतक  जैसा  मान।।
.               💫💫💫
पन्ना  जैसा त्याग दे, चंदन  सा  बलिदान।
पृथ्वी राज चौहान सा,देना तुम अभिमान।।
.               💫💫💫
वीर शिवा  सी  वीरता ,सांगा  जितने  घाव।
भूषण सी कविता लिखा,सतसैया से भाव।।
.               💫💫💫
देना हो  सन्यास  तो, बना विवेकानंद।
दयानंद  सा धीर दे, परमहंस  आनंद।।
.               💫💫💫
चतुर बनाए तो प्रभो, ज्यों तेनाली राम।
दशरथ माँझी दे बना,परमारथ के काम।।
.               💫💫💫
साहस बोस सुभाष सा,दे मुझको दातार।
लाल बाल अरु पाल से,देना मुझे विचार।।
.               💫💫💫
हरिश्चन्द्र सा सत्य दे, बाली सा  वरदान।
पतंजली  सा योग दे, भामाशाही  दान।।
.               💫💫💫
भगत सिंह सी मौत दे, शेखर  सी  पिस्तोल।
ऋषि दधीचि सी देह दे,गुरु नानक  से बोल।।
.               💫💫💫
कफन तिरंगा रंग दे,जनगणमन का गान।
वतन शहीदी शान दे, बलिदानी  अरमान।।
.               💫💫💫
मातृभूमि की गोद मे ,हिन्दी हिन्दुस्तान।
भारत  मेरा  देश  हो, जन्मूँ  राजस्थान।।

नाम– बाबू लाल शर्मा 
साहित्यिक उपनाम- बौहरा
जन्म स्थान – सिकन्दरा, दौसा(राज.)
वर्तमान पता- सिकन्दरा, दौसा (राज.)
राज्य- राजस्थान
शिक्षा-M.A, B.ED.
कार्यक्षेत्र- व.अध्यापक,राजकीय सेवा
सामाजिक क्षेत्र- बेटी बचाओ ..बेटी पढाओ अभियान,सामाजिक सुधार
लेखन विधा -कविता, कहानी,उपन्यास,दोहे
सम्मान-शिक्षा एवं साक्षरता के क्षेत्र मे पुरस्कृत
अन्य उपलब्धियाँ- स्वैच्छिक.. बेटी बचाओ.. बेटी पढाओ अभियान
लेखन का उद्देश्य-विद्यार्थी-बेटियों के हितार्थ,हिन्दी सेवा एवं स्वान्तः सुखायः

matruadmin

Average Rating

5 Star
0%
4 Star
0%
3 Star
0%
2 Star
0%
1 Star
0%

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Next Post

राह निहारते रहे...

Thu Jan 17 , 2019
हम  हर  लम्हा  तुम्हे  पुकारते रहे दहलीज पर खड़े राह निहारते रहे जीत जावोगे तुम हमको था यकीन तुम्हे जीताने हम अक्सर हारते रहे दर्द पलता रहा  तुम्हारी  जुदाई का हम अपनी  ही  खुशियां  मारते रहे लिखी है इबारत एक तेरी मोहब्बत की और हम तन्हा ही जीवन गुज़ारते रहे […]

पसंदीदा साहित्य

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।