1

इस फ़िल्म का विषय दर्द के साथ चुभन पैदा करता है। फ़िल्म को पहले दृश्य से ही साधे रखा है श्रीजीत मुखर्जी ने। यह फ़िल्म श्रीजीत की ही बंगला फ़िल्म ‘बाजकहिनी’ का हिन्दी रीमेक है। फ़िल्म का ताना-बाना आज़ादी के बाद इंडो-पाक बंटवारे की रेखा है,जिस पर एक कोठा ओर […]

नई फिल्म ‘शाबाना’ की कहानी ‘बेबी’ फिल्म से जोड़ी गई है। हाल ही में प्रदर्शित हुई यह फिल्म प्रीक्वल है ‘बेबी’ की। निर्देशक शिवम भाटिया ने भाग जानी,आहिस्ता-आहिस्ता, महारथी (टीवी सीरियल) के बाद नीरज पांडे लिखित फिल्म ‘नाम शाबाना’ निर्देशित की है। फिल्म की कहानी विदेश से शुरू होती है,जहां […]

बंगाली फिल्म ‘बाज़कहिनी’ का हिन्दी रीमेक है ‘बेगम जान’,जिसके संवादों ने ट्रेलर में ही तहलका मचा दिया है। यह फिल्म १४ अप्रैल को दर्शकों से रुबरु होगी। बँटवारा यानि एक काला अध्याय…राष्ट्रीय पुरस्कार से नवाजे जा चुके सुजीत मुखर्जी के निर्देशन में सजा एक बेहद दर्दीला विषय है,जिसने न केवल […]

यहाँ फिल्म पंजाबी परिपेक्ष्य पर आधारित है,जहाँ अंधविश्वास में मांगलिक होने पर पहली शादी पेड़ से हो जाती है सूरज शर्मा की और यहीं से शुरु होती है फ्रेंडली भूत की रोमांटिक कॉमेडी। इस फिल्म में सुंदर विशेष दृश्य प्रभाव हैं। फ़्रेंडली और खूबसूरत भूत की एंट्री और भी बहुत […]

यहा प्यार वाली,म्यूजिकल फैंटेसी फिल्म है,जो भरपूर जादू और डार्क फेंटेसी से भरी है। छोटी-सी कहानी यहाँ है कि,एक प्रिंस को श्राप मिलता है कि,जब तक सच्चा प्यार न कर ले, दानव बना रहेगा और सारे नौकर- चाकर घरेलू सामान बने रहेंगे। तब फिल्म की नायिका एमा से मुलाकात और […]

दोस्तों, हमेशा दिलीप साहब के अभिनय की गहराई और ऊँचाईयों की जो परवाज़ रही है,उसको छूना हर भारतीय फिल्म कलाकार का आज भी सपना है,क्योंकि उनका आकलन आज भी बहुत कठिन है। फिर भी उन पर कुछ लिखने की गुस्ताखी कर रहा हूँ। 11 दिसम्बर 1922 को पेशावर में मुहम्मद […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।