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जमाने की न जाने , ये कैसी बयार है…
नेपथ्य में नायक, मगर खलनायकों की बहार है
नाम से ज्यादा बदनामी की पूछ
बजता डंका जोरदार है…
नेक माने जा रहे बेवकूफ
धूर्त – बेईमानों की जय – जयकार है
अग्निपथ पर चलने वाले संघर्षशील कहला रहे बोरिंग
हिस्ट्रीशीटरों की बहार ही बहार है
न जाने कहां रुकेगा ये सिलसिला
सोच कर भी मचता दिल में हाहाकार है…
#तारकेश कुमार ओझा
लेखक पश्चिम बंगाल के खड़गपुर में रहते हैं और वरिष्ठ पत्रकार हैं | तारकेश कुमार ओझा का निवास भगवानपुर(खड़गपुर,जिला पश्चिम मेदिनीपुर) में है |
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