पूर्ण नाम: – संदीप यादवसाहित्यिक उपनाम: – संदीप “सत्यार्थी”*अस्थाई*वर्तमान पता: -सलोरी,इलाहाबाद।स्थाई पतापता – अतरौलियाजिला -आजमगढ़(उत्तर प्रदेश).विधा: गजल, गीत, मुक्तक(श्रृंगार)
Read Time52 Second
जब से आकर शहर में रहता हूँ,
इक अजीब से सफर में रहता हूँ॥
खुल के हँसना व रोना भी मना है
क्यूंकि मै किराये के घर में रहता हूँ॥
पेड़ों के पक्ष से है रिश्ता मेरा गहरा
मै बाहर अक्सर दोपहर में रहता हूँ॥
दोस्त मेरे मुझको देखकर भागते हैं
क्यूंकि मै दुश्मनों की नजर में रहता हूँ॥
हाथ-पाँव मारकर किनारा नहीं मिलता
नदियों में नहीं मै समंदर में रहता हूँ ॥
Average Rating
5 Star
0%
4 Star
0%
3 Star
0%
2 Star
0%
1 Star
0%
पसंदीदा साहित्य
-
March 21, 2020
इकु छंद
-
November 25, 2017
सोनिया गांधी और राहुल गांधी को पत्र
-
May 24, 2019
भानुमती का कुनबा भी नहीं कर सका नैया पार।
-
July 14, 2017
मित्रता….
-
August 7, 2021
हिरोशिमा