अब भी जालिमों की तरफदारी कर रहा है इंसान
तू कितना बदल गया हिंदुस्तान तू कितना बदल गया हिंदुस्तान
फसलें बर्बाद हो रहीं हैं कारोबार भी चौपट है
फिर भी विदेशों में घूम रहा लगता है ये नेता फौकट है
कारोबारी कर्जा लेकर भाग रहे खुदकुशी कर रहे किसान
तू कितना बदल गया हिंदुस्तान तू कितना बदल गया हिंदुस्तान
कुर्सी के ठेकेदारों के कारण पैदा मंगल लक्ष्मी अब्दुल हमीद नहीं होते
मेरे मुल्क के वीरों की खुशियों के दिवाली और ईद नहीं होते
सरहद पर रोज जान गवा रहा वीर जवान
तू कितना बदल गया हिंदुस्तान तू कितना बदल गया हिंदुस्तान
गरीबों से रिश्वत लेते अफसर चन्द नोटों की खातिर
कई वर्गों में बांट दिया इंसाँ को चन्द वोटों की खातिर
कब खत्म होगा भ्रष्टाचार आरक्षण कब होगा जनरल पर ये अहसान
तू कितना बदल गया हिंदुस्तान तू कितना बदल गया हिंदुस्तान
ज़िक्र करता हूँ एक और बड़ी बीमारी का
क्या करें अब साहेब बढती बेरोजगारी का
आजाद होकर भी दर दर की ठोकर खा रहा नौजवान
तू कितना बदल गया हिंदुस्तान तू कितना बदल गया हिंदुस्तान
उठ जाग अब अपना रुप बदल ले
सारी बुराइयों को अब तू निगल ले
इल्तिजा कर रहा है नदीम अनुज खान
तू कितना बदल गया हिंदुस्तान तू कितना बदल गया हिंदुस्तान
नाम – नदीम खान “अनुज”
साहित्यिक उपनाम – अनुज
वर्तमान पता – केलवाड़ा जिला बारां
राज्य – राजस्थान
शहर – केलवाड़ा
शिक्षा – BA
कार्यक्षेत्र – केलवाड़ा
विधा – कविता
प्रकाशन – कोई नहीं
सम्मान – कोई नहीं
अन्य उपलब्धियाँ – कोई नहीं
लेखन का उद्देश्य – लोगों का मार्गदर्शन करना