रावण से राम तक

1 0
Read Time6 Minute, 6 Second

आइए आज दशहरे पर दो बातों पर ध्यान देते हैं:
पहली, दशमलव प्रणाली में मूलभूत संख्याएँ दस ही हैं – शून्य से लेकर नौ तक। इतने ही महापंडित ज्ञानी रावण के मुख भी हैं। बाकी सारी संख्याएँ इन्हीं दस संख्याओं से बनी हैं। संख्याएँ जहाँ तक जा सकती हैं वहां तक रावण के मुख मिलकर जा सकते हैं। इस का भावार्थ समझा जाए तो सकल जगत में रावण के मुख जा सकते हैं और अब यह एक सत्य भी है। प्राणी चाहे मानव हो या जानवर कहीं न कहीं रावण से प्रभावित दिखाई देते हैं। रावण में गुण भी थे और अवगुण भी। जो सबसे बड़ा अवगुण था वो था – अहंकार। बड़े साम्राज्य के स्वामी, अद्वितीय इंजीनियर, महापंडित जैसे व्यक्ति को अहंकार हो जाना स्वाभाविक तो नहीं है क्योंकि अहंकार पर भी रावण को पूरा ज्ञान होगा। खैर, हम बात कर रहे हैं आज के जगत की। रावण का सबसे बड़ा अवगुण आज लगभग प्रत्येक प्राणी में है। इसके अलावा भी रावण के गुण और अवगुण हम प्राणियों में कहीं न कहीं दृष्टिगोचर हो ही जाते हैं।
वहीँ दूसरी तरफ राम के लिए कहा गया है:
नाम चतुर्गन पंचयुग कृत द्वौ गुनी बसु भेखि।
सकल चराचर जगत में राम हि देखी।।
इसका भावार्थ यह निकलता है कि “पूरी दुनिया कोई भी नाम हो, चाहे वह जीव हो या निर्जीव, उस नाम में राम नाम छुपा हुआ है।”
इसे सिद्ध करने का प्रयास करते हैं।
एक गणितीय सूत्र है – ((((n x 4) + 5) x 2 ) / 8 )) इसका शेषफल हमेशा 2 ही रहता है। राम नाम में भी दो ही अक्षर हैं। n को शून्य से लेकर कुछ भी रख दीजिये यहाँ दो ही आएगा। ऐसे और भी कई सूत्र हैं, लेकिन इस सूत्र की खास बात शेषफल का दो होना है। दो ही अक्षर राम के हैं। तो गणित के ही ऐसे सूत्र हैं जो गणित को उलझा देते हैं। एक ही जगह आकर ठहर जाते हैं।
यह दो बातें मेरे अनुसार यह दर्शाती हैं कि रावण के कई गुण और अवगुण हम सभी में हैं। इन्हीं गुणों/अवगुणों का सही तरह मंथन करें तो राम तक पहुंचा जा सकता है। हमें करना क्या है – केवल एक ही सूत्र स्थापित करना है। वही एक सूत्र सारे गुणों – सारे अवगुणों को नष्ट कर राम तक पहुंचा देगा।

परिचय :-
नाम: डॉ. चंद्रेश कुमार छतलानी
शिक्षा: पीएच.डी. (कंप्यूटर विज्ञान) 
सम्प्रति: सहायक आचार्य (कंप्यूटर विज्ञान)
लेखन: लघुकथा, कविता, ग़ज़ल, गीत, कहानियाँ, बालकथा, बोधकथा, लेख, पत्र
पत्र-पत्रिकाओं का नाम जिनमें रचनाएँ प्रकाशित हुईं
मधुमति (राजस्थान साहित्य अकादमी की मासिक पत्रिका), लघुकथा पर आधारित “पड़ाव और पड़ताल” के खंड 26 में लेखक, अविराम साहित्यिकी, लघुकथा अनवरत (साझा लघुकथा संग्रह), लाल चुटकी (रक्तदान विषय पर साझा लघुकथा संग्रह), नयी सदी की धमक (साझा लघुकथा संग्रह), अपने अपने क्षितिज (साझा लघुकथा संग्रह), सपने बुनते हुए (साझा लघुकथा संग्रह), अभिव्यक्ति के स्वर (साझा लघुकथा संग्रह), स्वाभिमान (साझा लघुकथा संग्रह), वागर्थ, लघुकथा कलश, विभोम-स्वर, नव-अनवरत, दृष्टि (पारिवारिक लघुकथा विशेषांक), दृष्टि (राजनैतिक लघुकथा विशेषांक), हिंदी जगत (विश्व हिंदी न्यास, न्यूयॉर्क द्वारा प्रकाशित), हिंदीकुञ्ज, laghukatha.com, openbooksonline.com, विश्वगाथा, शुभ तारिका, अक्षर पर्व, अनुगुंजन, क्षितिज पत्रिका लघुकथा विशेषांक अंक 9 वर्ष 2018, एम्स्टेल गंगा (नीदरलैंड से प्रकाशित), हिमालिनी (काठमांडू, नेपाल), सेतु पत्रिका (पिट्सबर्ग), शोध दिशा, ककसाड़, साहित्य समीर दस्तक, अटूट बंधन, सुमन सागर त्रैमासिक साहित्यिक पत्रिका, दैनिक भास्कर, दैनिक राजस्थान पत्रिका, किस्सा-कृति (kissakriti.com), वेबदुनिया, कथाक्रम पत्रिका, करुणावती साहित्य धारा त्रैमासिक, साहित्य कलश त्रैमासिक, मृग मरीचिका, अक्षय लोकजन, बागेश्वरी, साहित्यसुधा (sahityasudha.com), सत्य दर्शन, साहित्य निबंध, युगगरिमा, युद्धरत आम आदमी, जय-विजय, शब्द व्यंजना, सोच-विचार, जनकृति अंतरराष्ट्रीय ई-पत्रिका, सत्य की मशाल, sabkuchgyan.com, रचनाकार (rachanakar.org), swargvibha.in, hastaksher.com, ekalpana.net, storymirror.com, hindilekhak.com, bharatdarshan.co.nz, hindisahitya.org, hindirachnasansar.com, bharatsarthi.com, अमेजिंग यात्रा, निर्झर टाइम्स, राष्ट्रदूत, जागरूक टाइम्स, Royal Harbinger, pratilipi.com, dawriter.com, नजरिया नाउ, दैनिक नवज्योति, एबेकार पत्रिका, सच का हौसला दैनिक पत्र, सिन्धु पत्रिका, वी विटनेस, नवल, सृजन सरोकार आदि में रचनाएँ प्रकाशित

matruadmin

Average Rating

5 Star
0%
4 Star
0%
3 Star
0%
2 Star
0%
1 Star
0%

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Next Post

रावण के मन की पीड़ा

Thu Oct 10 , 2019
इस बार दशहरे पर रावण राम से बोला | था रामलीला मैदान में तन कर बोला || तुम मुझ पर हर वर्ष बाण चलाते हो | बाण चला कर मुझको जलवाते हो || फिर भी जल कर मै नहीं मर पाता हूँ | अगले वर्ष जिन्दा होकर लौट आता हूँ […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष, ख़बर हलचल न्यूज़, मातृभाषा डॉट कॉम व साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। साथ ही लगभग दो दशकों से हिन्दी पत्रकारिता में सक्रिय डॉ. जैन के नेतृत्व में पत्रकारिता के उन्नयन के लिए भी कई अभियान चलाए गए। आप 29 अप्रैल को जन्में तथा कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएच.डी की उपाधि प्राप्त की। डॉ. अर्पण जैन ने 30 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण आपको विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन द्वारा वर्ष 2020 के अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से डॉ. अर्पण जैन पुरस्कृत हुए हैं। साथ ही, आपको वर्ष 2023 में जम्मू कश्मीर साहित्य एवं कला अकादमी व वादीज़ हिन्दी शिक्षा समिति ने अक्षर सम्मान व वर्ष 2024 में प्रभासाक्षी द्वारा हिन्दी सेवा सम्मान से सम्मानित किया गया है। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं, साथ ही लगातार समाज सेवा कार्यों में भी सक्रिय सहभागिता रखते हैं। कई दैनिक, साप्ताहिक समाचार पत्रों व न्यूज़ चैनल में आपने सेवाएँ दी है। साथ ही, भारतभर में आपने हज़ारों पत्रकारों को संगठित कर पत्रकार सुरक्षा कानून की मांग को लेकर आंदोलन भी चलाया है।