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श्रावण मास तीज की, सिन्जारे पर प्रीत की
गोरी कोरे हाथों पर, मेहंदी रचायगी
हाथों का शृंगार कर, खुद को संवार कर
लाल सुर्ख जोड़े में वो, पिय को रिझायगी
मेहंदी दिखा के वह, सीधा कह देगी वह
नखरें न आज वह, पिय के उठायगी
जुल्फ मेरी बिखरेगी, चान्द से ही निखरेगी
मेहंदी लगे हाथों से, सन्वारी न जायगी
#डॉ. पवन कुमारनिजामाबाद
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