सोशल मीडिया पर कहाँ है मातृभाषा उन्नयन संस्थान मातृभाषा उन्नयन संस्थान को हमेशा से हिन्दी के प्रचार हेतु तकनीकी के प्रति सजग संगठन के रुप में जाना जाता रहा है। ज़ाहिर है कि संस्थान ने इंटरनेट और सोशल मीडिया पर अपनी उपस्थिति को चिन्हित भी किया है। संगठन का […]
हालात के मारे हार जाता हू, कई बार फिर भी खड़ा हो जाता हूँ हर बार, बार बार इंसान हूँ, इंसान की तरह जीता हूँ टूटा हुआ पत्थर नहीं जो फिर ना जुड़ पाऊँगा। तेज धूप के बाद ढलती हुई साँझ आती जाती देख रहा बरसों से इसलिए चुन लेता हूँ हर बार नये नहीं होता निराश टूटे सपनो से। क्या हुआ जो पत-झड़ में तिनके सारे बिखर गये चुन चुनके तिनके हर बार नीड नया बनाऊँगा। इंसान हूँ, इंसान की तरह जीता हूँ टूटा हुआ पत्थर नहीं जो फिर ना जुड़ पाऊँगा। # डॉ. रूपेश जैन “राहत” Post Views: 681