सोशल मीडिया पर कहाँ है मातृभाषा उन्नयन संस्थान   मातृभाषा उन्नयन संस्थान को हमेशा से हिन्दी के प्रचार हेतु तकनीकी के प्रति सजग संगठन के रुप में जाना जाता रहा है।  ज़ाहिर है कि संस्थान ने इंटरनेट और सोशल मीडिया पर अपनी उपस्थिति को चिन्हित भी किया है। संगठन का […]

कैसे चूका पाउँगा माँ तेरे कर्ज को, मुझे प्राण देने के तेरे फ़र्ज को. सौ बार सोचा करूँ तेरे लिए कुछ अनोखा, पर दुनिया उसे सोचे  धोखा, कैसे दूर  कर पाउँगा माँ तेरे उस दर्द को , कैसे चूका पाउँगा माँ तेरे कर्ज को, तेरी उन लोरियों की पुचकार को, गीतों में […]

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वो ज़िंदगी में काश दुबारा मिले कभी जैसे कि टूट कर के सितारा मिले कभी उम्मीद जागती है जो ये दिल में बारहा मौजे रवाँ है इसको किनारा मिले कभी बैठा है इंतिजार में मूरत बना कोई तरसी नज़र को ऐसा नज़ारा मिले कभी आख़िर मैं कब तलक यूँ खुदा […]

हालात के मारे हार जाता हू, कई बार फिर भी खड़ा हो जाता हूँ हर बार, बार बार इंसान हूँ, इंसान की तरह जीता हूँ टूटा हुआ पत्थर नहीं जो फिर ना जुड़ पाऊँगा। तेज धूप के बाद ढलती हुई साँझ आती जाती देख रहा बरसों से इसलिए चुन लेता हूँ हर बार नये नहीं होता निराश टूटे सपनो से। क्या हुआ जो पत-झड़ में तिनके सारे बिखर गये चुन चुनके तिनके हर बार नीड नया बनाऊँगा। इंसान हूँ, इंसान की तरह जीता हूँ टूटा हुआ पत्थर नहीं जो फिर ना जुड़ पाऊँगा। # डॉ. रूपेश जैन “राहत” Post Views: 681

सहजता से चल रही रमा और राजन की गृहस्थी में बेखबर फासले दस्तक दे चुके थे । मन के किसी कोने में दोनों ही एक अलगाव सा महसूस कर रहे थे पर इसे व्यक्त करने से बचते थे । दस साल की भरी – पूरी खुशहाल जिंदगी में इन फासलों […]

आकोला | “राजकुमार जैन राजन फाउंडेशन, आकोला (राज.) द्वारा अखिल भारतीय स्तर पर पिछले 12 वर्षों से नियमित प्रदान किये जा रहे बाल साहित्य सम्मानों  2018 हेतु अपनी उपलब्धियों का विवरण एवम सम्मान योग्य वरिष्ठ साहित्यकारों  के नामों की अनुशंषाएँ 20 सितम्बर 2018 तक सादर आमंत्रित है। निम्न सम्मान 13 […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।