कविता तुम कहाँ हो

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anita mandilwar
कविता
तुम कहाँ हो
कवि के हृदय में
या कागज के पन्नों पर
या मन की संवेदना में
या ऊष्मित होती वेदना में
या बालाओं के रूदन में
या उद्वेगों के क्रन्दन में ।
बताओ हो किसी के
स्मृतियों में
या नायिकाओं के विरहगान में
या छिपे हो सुर-ताल में
या उलझी हो समुद्र के
भँवर-जाल में ।
बताओ तो छिपी कहाँ
सुंदर सूरत में
या अच्छी सीरत में
या फिर चरित्र में
आखिर कहो तो
हो बसती किसमें ।
कहीं छिपे तो नहीं
सैनिकों के ललकार में
या मल्लाह के पतवार मे
या नदी के बीच मझधार में
या आन्दोलन से उपजे
हाहाकार में ।
कहाँ हो कविता
शब्दों के ताने-बाने में
या कही गई जो बात
अनजाने में
पनघट पर पनिहारन के
गुनगुनाने में
या रंगीन परों वाली तितलियों के
उड़ जाने में ।
कहाँ हो कविता
आखिर हो कहाँ
मुझे तो लगता है
तुम हर जगह हो
हर किसी का *सपना* हो
या हो किसी के सपनों में ।
हाँ तुम हो
वन की हरियाली में
पर्वत, पहाड़ में
कलकल करती झरने में
और हो कण-कण में
जहाँ प्राण शेष है
अभी भी
हाँ ! अभी भी ।
बताओ भी हो किसमें ।
             #अनिता मंदिलवार ‘सपना’
परिचय : अनिता मंदिलवार ‘सपना’ की जन्मतिथि-५ जनवरी एवं जन्मस्थान-बिहार शरीफ है। एम.एस-सी.(वनस्पति शास्त्र),एम.ए.(हिन्दी-अंग्रेजी साहित्य),बी.एड. तथा पीजीडीसीए की शिक्षा प्राप्त श्रीमती अनिता संजीव सिन्हा का कार्यक्षेत्र- व्याख्याता( हाईस्कूल-अंबिकापुर,छग) है। सामाजिक क्षेत्र में शिक्षा के क्षेत्र में विशेष योगदान देती हैं। गद्य और पद्य के तहत कविता,ग़ज़ल,नाटक,रुपक, कहानी, हाइकू आदि लिखती हैं। आपकॊ लेखन में काव्य अमृत,हिन्दी सागर सम्मान मिले हैं। कई समाचार पत्रों में कविताओं-लेख का प़काशन हुआ है। अन्य में मानव संसाधन विकास मंत्रालय द्वारा आयोजित हिन्दी निबंध प्रतियोगिता में प्रथम पुरस्कार एवं ‘मदर्स-डे’ प्रतियोगिता में द्वितीय पुरस्कार सहित क्विज़ स्पर्धा में प्रथम और दूरदर्शन से प्रसारित ‘भवदीय’ कार्यक्रम में सर्वश्रेषठ पत्र लेखन का पुरस्कार भी लिया है। आप कई साहित्यिक
संस्थाओं से भी संबद्ध हैं। साथ ही दूरदर्शन रायपुर से कविता पाठ, आकाशवाणी अंबिकापुर से कविता, कहानी, नाटक और आपके रुपक का भी प़सारण हुआ है। आपके लेखन का उद्देश्य-साहित्य सेवा,साहित्य के माध्यम से जागरुकता लाना और अपनी भावनाओं से समाज में हो रही कुप्रथाओं के विरुद्ध लेखन है। वर्तमान में आपका निवास छत्तीसगढ़ के सरगुजा जिले के अंबिकापुर स्थित जरहागढ़ में है।

Arpan Jain

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डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।