सूरज,धरा पर आएगा

0 0
Read Time2 Minute, 29 Second
 rambhawan
जैसे सुख को काटा तूने,
दुःख भी तू हीं काटेगा।
औरों की तरह ही ईश्वर,
तेरी भी खुशियां बाँटेगा॥
तेरे सब्र की परख भी होगी,
पाँव तेरा दुःख चाटेगा।
और समय का मरहम लेकर,
ज़ख्म तेरा सब पाटेगा॥
आज नहीं तो कल या परसों,
या फिर नरसों-बरसों बाद।
तेरे  सुख-सौभाग्य के लिए,
दे जाएगा आशीर्वाद॥
जब तक है दुख तब तक तू,
हिम्मत अगर न हारेगा।
अपना खोया हुआ सब कुछ,
एक दिन वापस पाएगा॥
सामर्थवान सूरज को कभी,
घेर लेती घनघोर बदरिया।
मदारी  मौसम नचवाता,
नट पर बन्दर और बंदरिया॥
सुख सूरज को दुख की छाया,
वश में क्या कभी कर पाएगा ?
आज नहीं तो निश्चित ही कल,
सूरज धरा पर आएगा॥
दुःख भी एक वरदान ‘भवन’,
दुःख में ही ईश्वर हैं मिलते।
काँटों में देखा है सुन्दर,
फूलों में गुलाब को खिलते॥
निर्जन वन में इक-इक पौधा,
जैसे गुलशन बन जाएगा।
दुःख का पर्वत भी वैसे ही,
एक दिन बुकनी बन जाएगा॥
             #रामभवन प्रसाद चौरसिया 
परिचय : रामभवन प्रसाद चौरसिया का जन्म १९७७ का और जन्म स्थान ग्राम बरगदवा हरैया(जनपद-गोरखपुर) है। कार्यक्षेत्र सरकारी विद्यालय में सहायक अध्यापक का है। आप उत्तरप्रदेश राज्य के क्षेत्र निचलौल (जनपद महराजगंज) में रहते हैं। बीए,बीटीसी और सी.टेट.की शिक्षा ली है। विभिन्न समाचार पत्रों में कविता व पत्र लेखन करते रहे हैं तो वर्तमान में विभिन्न कवि समूहों तथा सोशल मीडिया में कविता-कहानी लिखना जारी है। अगर विधा समझें तो आप समसामयिक घटनाओं ,राष्ट्रवादी व धार्मिक विचारों पर ओजपूर्ण कविता तथा कहानी लेखन में सक्रिय हैं। समाज की स्थानीय पत्रिका में कई कविताएँ प्रकाशित हुई है। आपकी रचनाओं को गुणी-विद्वान कवियों-लेखकों द्वारा सराहा जाना ही अपने लिए  बड़ा सम्मान मानते हैं।

matruadmin

Average Rating

5 Star
0%
4 Star
0%
3 Star
0%
2 Star
0%
1 Star
0%

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Next Post

मेरे पिता

Mon Jan 29 , 2018
ज्ञान नहीं था जिन्हें किताबों का, न था जिन्हें सदी का पता वो मुझे मुकाम तक पहुंचा गए, ऐसे थे मेरे पिता। संस्कारों की पोटली थी, गृहस्थ जीवन की सीख दी दुनियादारी से जूझना सिखा गए, ऐसे थे मेरे पिता। अपनों के बीच अर्जुन बनो, त्याग के समय देवी बनो […]

पसंदीदा साहित्य

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।