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जनता की अभिलाषा का सम्मान तू।
देश में सबसे ऊपर है संविधान तू॥
भारत की छवि तुझमे हमको दिखती है।
देश को तुझसे ही गरिमा मिलती है॥
जय हो तेरी भारत का अभिमान तू।
देश में सबसे ऊपर है…॥
गणतन्त्र बनाकर तूने जो उपकार किया।
सब जन को कर्तव्य दिया अधिकार दिया॥
अधिकार बनाकर तुझको अपना मान लूँ।
देश में सबसे ऊपर है…॥
प्रारूप जो तेरा भीमराव ने बनाया है।
देश के सब जन का मन यूँ हर्षाया है॥
हिन्द जनों के सपनों की है उड़ान तू।
देश में सबसे ऊपर है…॥
आजादी का तूने सच्चा सुख है दिया।
संघ बनाकर देश को सम्प्रभु है किया॥
जनता की सरकारों में है जान तू।
देश में सबसे ऊपर है…॥
नियम ज्योति से देश को राह दिखाता है।
न्याय धर्म पर आगे हमको बढ़ाता है॥
देश की अस्मिता का प्रतिमान तू।
देश में सबसे ऊपर है…॥
निरपेक्ष पन्थ है समता है समाजों की।
प्रार्थना,पूजा लड़ियां हैं नमाजों की॥
सर्वधर्म का विकास है उत्थान तू।
देश में सबसे ऊपर है…॥
गणतंत्र दिवस पर हम ये कसम उठाते हैं।
देश धर्म ईमान से फर्ज निभाते हैं॥
सब ग्रन्थों में गीता का है ज्ञान तू।
देश में सबसे ऊपर है…॥
जनता की अभिलाषा का सम्मान तू।
देश में सबसे ऊपर है संविधान तू॥
#दुर्गेश कुमार
परिचय: दुर्गेश कुमार मेघवाल का निवास राजस्थान के बूंदी शहर में है।आपकी जन्मतिथि-१७ मई १९७७ तथा जन्म स्थान-बूंदी है। हिन्दी में स्नातकोत्तर तक शिक्षा ली है और कार्यक्षेत्र भी शिक्षा है। सामाजिक क्षेत्र में आप शिक्षक के रुप में जागरूकता फैलाते हैं। विधा-काव्य है और इसके ज़रिए सोशल मीडिया पर बने हुए हैं।आपके लेखन का उद्देश्य-नागरी की सेवा ,मन की सन्तुष्टि ,यश प्राप्ति और हो सके तो अर्थ प्राप्ति भी है।
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Nice