मेरे गांव के बच्चे

0 0
Read Time2 Minute, 21 Second
cropped-cropped-finaltry002-1.png
सुना है अब मेरे गांव के,
सारे बच्चे बड़े हो गए…
कोई हिन्दू तो कोई,
मुसलमान हो गए…
खैर ये तो मजहब की बात है,
पर वे बड़े छुपे रुस्तम से हो गए…
यकायक ही एक दुजे के,
वो दुश्मन से हो गए…
पलट कर देखा जब जिदंगी को,
कुछ हसीन लम्हे याद आ गए…
वो मजे,वो खेल और ..
माहौल याद आ गए…
वो जमाने भी क्या रंग-बिंरगे थे,
जब सबके हाथ में तिंरगे थे…
गांव-गांव गली-गली पैगाम थे,
तिंरंगे के ही चर्चे सरेआम थे…
सब बच्चे मासूम थे,
सबके सब इंसान थे…।
वे बच्चे अब बड़े हो गए,
तिंरगे के रंग आपस में बंट गए…
कोई केशरिया हो गए,
तो कोई ‘हरे’ भरे हो गए…
तो कोई ‘निला’म य हो गए…
बचे-खुचे कुछ ‘मा’ ओ के लाल,
अब सच में ‘लाल’ म ‘लाल’ हो गए…
कुछ तो मालामाल हो गए
तो कुछ जिंदगी के बोझ को,
ढोते-ढोते बेहाल हो गए…
मेरे गांव के बुरे हाल हो गए,
सच में मेरे गांव के बच्चे
अब ‘बड़े’ हो गए…॥

#संजय वासनिक ‘वासु’

परिचय : संजय वासनिक का साहित्यिक उपनाम-वासु है। आपकी जन्मतिथि-१८ अक्तूबर १९६४ और जन्म स्थान-नागपुर हैl वर्तमान में आपका निवास मुंबई के चेंबूर में हैl महाराष्ट्र राज्य के मुंबई शहर से सम्बन्ध रखने वाले श्री वासनिक की शिक्षा-अभियांत्रिकी है।आपका कार्यक्षेत्र-रसायन और उर्वरक इकाई(चेम्बूर) में है,तो सामाजिक क्षेत्र में समाज के निचले तबके के लिए कार्य करते हैं। इकाई की पत्रिका में आपकी कविताएं छपी हैं। सम्मान की बात करें तो महाविद्यालय जीवन में सर्वोत्कृष्ट कलाकार-नाटक सहित सर्वोत्कृष्ट-लेख से विभूषित हैं। आपके लेखन का उद्देश्य-शौकिया ही है।

matruadmin

Average Rating

5 Star
0%
4 Star
0%
3 Star
0%
2 Star
0%
1 Star
0%

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Next Post

रोशनी 

Thu Jan 25 , 2018
भोर की गहराइयों से फैलती है रोशनी, मौन से कुछ पल खड़े हैं भीगती अब ओस भी। धुंध-सी कुछ छँट रही है व्योम कुछ ज़ाहिर हुआ, दूर से आतीं हैं किरणें कुल समाँ रोशन हुआ। स्वर्ण-सा आभास जग को सूर्य की आभा कराती, चीरती जाती तिमिर को हर दिशा ओजस […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष, ख़बर हलचल न्यूज़, मातृभाषा डॉट कॉम व साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। साथ ही लगभग दो दशकों से हिन्दी पत्रकारिता में सक्रिय डॉ. जैन के नेतृत्व में पत्रकारिता के उन्नयन के लिए भी कई अभियान चलाए गए। आप 29 अप्रैल को जन्में तथा कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएच.डी की उपाधि प्राप्त की। डॉ. अर्पण जैन ने 30 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण आपको विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन द्वारा वर्ष 2020 के अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से डॉ. अर्पण जैन पुरस्कृत हुए हैं। साथ ही, आपको वर्ष 2023 में जम्मू कश्मीर साहित्य एवं कला अकादमी व वादीज़ हिन्दी शिक्षा समिति ने अक्षर सम्मान व वर्ष 2024 में प्रभासाक्षी द्वारा हिन्दी सेवा सम्मान से सम्मानित किया गया है। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं, साथ ही लगातार समाज सेवा कार्यों में भी सक्रिय सहभागिता रखते हैं। कई दैनिक, साप्ताहिक समाचार पत्रों व न्यूज़ चैनल में आपने सेवाएँ दी है। साथ ही, भारतभर में आपने हज़ारों पत्रकारों को संगठित कर पत्रकार सुरक्षा कानून की मांग को लेकर आंदोलन भी चलाया है।