चेतो राख की दबी चिंगारी,
जलो अग्नि के शोलों..
अपने दिल के तिरंगे में
केशर रंग तुम घोलो।
व्यर्थ न जाए ये जवानी,
आज गढ़ो तुम नई कहानी..
जहां तुम्हारा पाँव पड़े तो
वहीं धरा पर निकले पानी।
खोल आँख की पट्टी तुम,
अपनी देश भक्ति तोलो..
अपने दिल के तिरंगे में
केशर रंग तुम घोलो।
सीख जरा लो बलिदानों से,
वैराग्य सीखो श्मशानों से..
देशाटन हेतु घर छोड़ो,
मोह त्याग स्व-अरमानों से।
हाय-हलो बहुत कर ली..
अब ‘वंदे मातरम्’ बोलो,
अपने दिल के तिरंगे में
केशर रंग तुम घोलो।
वीर जवानों का यह देश है,
लहू रगो में अभी शेष है..
सजग रहे हर देशवासी तो
मुश्किल आना यहाँ क्लेश है।
मन में पड़ी हुई ग्रंथि को,
मतभेद भुला तुम खोलो..
अपने दिल के तिरंगे में
केशर रंग तुम घोलो।
#रामशर्मा ‘परिन्दा’
परिचय : रामेश्वर शर्मा (रामशर्मा ‘परिन्दा’)का परिचय यही है कि,मूल रुप से शासकीय सेवा में सहायक अध्यापक हैं,यानी बच्चों का भविष्य बनाते हैं। आप योगाश्रम ग्राम करोली मनावर (धार, म.प्र.) में रहते हैं। आपने एम.कॉम.और बी.एड.भी किया है तथा लेखन में रुचि के चलते साहित्य सफर में सतत सक्रिय हैं। सम-सामयिक विषयों पर प्रतिदिन लिखते हैं।