धूल लगी किताब

1
0 0
Read Time2 Minute, 50 Second

mrutyunjay sisodiya

धूल लगी उस किताब को,
क्या फिर से खोल पाओगे…l 
जो गुजर गई है बातें सारी,
क्या उन्हें फिर से दोहराओगे…ll 
 
माना काबिल बहुत हो तुम,
और गम से तुम बेगानी हो…l 
खूबसूरती की जो शमा जले तो,
तुम परियों की रानी हो…ll 
 
तुम्हारी मदमस्त आंखों से क्या,
तुम अब हमें समझाओगे…l 
या कहीं देखकर के हमें,
तुम पलकें अपनी झुकाओगे…ll 
 
बेगाना करके हमें तुम,
किसी और के साथ जो जाओगे…l 
पर गैरों का साथ पाकर तुम,
क्या खुद को संभाल पाओगे…ll 
 
हां गलतियां की है मैंने,
और कुछ नादानियां भी…l 
अंगुलियों पर यह गलतियां,
अपने दोस्तों को गिनाओगे…ll 
 
हम नहीं थे काबिल तुम्हारे,
हम मानते हैं मगर…l 
क्या कभी दिल से हमें,
बाहर निकाल पाओगे…ll 
 
लौटकर आ चल,
फिर से एक हो जाते हैं…l 
मेरी राह के कांटों को,
दोनों मिलकर साथ हटाते हैं…ll 
 
जो दोगे साथ आज तुम मेरा,
कल मेरा साथ तुम पाओगे…l 
छोड़कर के इस दीवाने दिल को,
तुम भी नयन बरसाओगे…ll 
 
तोड़कर के यह दिल मेरा,
तुम ऐसा दिल ना कभी पाओगे…l 
दूर होकर के तुम हमसे,
कल तुम बहुत पछताओगे…ll 
 
धूल लगी उस किताब को,
क्या फिर से खोल पाओगे…l 
जो गुजर गई है बातें सारी,
क्या उन्हें फिर से दोहराओगे…ll
#मृत्युंजय सिसोदिया
परिचय : मृत्युंजय सिसोदिया की जन्मतिथि-१९ जुलाई १९९८ तथा जन्म स्थान-डोराई,बेगूं(चितौड़गढ़-राजस्थान) हैl आपका वर्तमान निवास भी बेगूं(चितौड़गढ़) में ही हैl राजस्थान के श्री सिसोदिया की शिक्षा-बी.टेक.(अभियांत्रिकी) होने से कार्यक्षेत्र अभियांत्रिकी ही है l सामाजिक क्षेत्र में आप समाज के युवा समूह से जुड़े हुए हैं। आपकी कविताओं को अखबारों में स्थान मिला हैl ब्लॉग पर भी लिखने वाले मृत्युंजय सिसोदिया खो-खो खेल के अच्छे खिलाड़ी हैं।बचपन से ही काव्य में रूचि रखने वाले मृत्युंजय सिसोदिया के लेखन का उद्देश्य कविताओं के जरिए अपनी बात को सब तक पहुंचाना है।

matruadmin

Average Rating

5 Star
0%
4 Star
0%
3 Star
0%
2 Star
0%
1 Star
0%

One thought on “धूल लगी किताब

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Next Post

मेरा देश

Mon Jan 22 , 2018
मेरा देश आज दो नामों में बँट गया है भारत और इण्डिया भारत पूर्वीय दैवीय गुणाच्छादित सभ्यता का प्रतीक और इण्डिया पाश्चात्य सभ्यता काl भारत इण्डिया के भार से दबा जा रहा है, अधोपतन के गर्त में डुबाया जा रहा हैl भारत की सात्विक संस्कृति की छाती पर इण्डिया की […]

पसंदीदा साहित्य

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।