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धूल लगी उस किताब को,
क्या फिर से खोल पाओगे…l
जो गुजर गई है बातें सारी,
क्या उन्हें फिर से दोहराओगे…ll
माना काबिल बहुत हो तुम,
और गम से तुम बेगानी हो…l
खूबसूरती की जो शमा जले तो,
तुम परियों की रानी हो…ll
तुम्हारी मदमस्त आंखों से क्या,
तुम अब हमें समझाओगे…l
या कहीं देखकर के हमें,
तुम पलकें अपनी झुकाओगे…ll
बेगाना करके हमें तुम,
किसी और के साथ जो जाओगे…l
पर गैरों का साथ पाकर तुम,
क्या खुद को संभाल पाओगे…ll
हां गलतियां की है मैंने,
और कुछ नादानियां भी…l
अंगुलियों पर यह गलतियां,
अपने दोस्तों को गिनाओगे…ll
हम नहीं थे काबिल तुम्हारे,
हम मानते हैं मगर…l
क्या कभी दिल से हमें,
बाहर निकाल पाओगे…ll
लौटकर आ चल,
फिर से एक हो जाते हैं…l
मेरी राह के कांटों को,
दोनों मिलकर साथ हटाते हैं…ll
जो दोगे साथ आज तुम मेरा,
कल मेरा साथ तुम पाओगे…l
छोड़कर के इस दीवाने दिल को,
तुम भी नयन बरसाओगे…ll
तोड़कर के यह दिल मेरा,
तुम ऐसा दिल ना कभी पाओगे…l
दूर होकर के तुम हमसे,
कल तुम बहुत पछताओगे…ll
धूल लगी उस किताब को,
क्या फिर से खोल पाओगे…l
जो गुजर गई है बातें सारी,
क्या उन्हें फिर से दोहराओगे…ll
#मृत्युंजय सिसोदिया
परिचय : मृत्युंजय सिसोदिया की जन्मतिथि-१९ जुलाई १९९८ तथा जन्म स्थान-डोराई,बेगूं(चितौड़गढ़-राजस्थान) हैl आपका वर्तमान निवास भी बेगूं(चितौड़गढ़) में ही हैl राजस्थान के श्री सिसोदिया की शिक्षा-बी.टेक.(अभियांत्रिकी) होने से कार्यक्षेत्र अभियांत्रिकी ही है l सामाजिक क्षेत्र में आप समाज के युवा समूह से जुड़े हुए हैं। आपकी कविताओं को अखबारों में स्थान मिला हैl ब्लॉग पर भी लिखने वाले मृत्युंजय सिसोदिया खो-खो खेल के अच्छे खिलाड़ी हैं।बचपन से ही काव्य में रूचि रखने वाले मृत्युंजय सिसोदिया के लेखन का उद्देश्य कविताओं के जरिए अपनी बात को सब तक पहुंचाना है।
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