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घर का भेदी खोल के,नंगा बैठा न्याय,
गीदड़ बग्गी,भेड़िया,नोंच-नोंच अब खाय
नोंच-नोंच अब खाय,लिए दानवता मन से,
मन का ये उदगार,उगलते जहर वमन से
देखें दृश्य ‘विराट’,काँपता है तन थर-थर,
सबल बनाएं देश,टूटने दें मत यह घर॥
#श्रीमन्नारायणाचार्य ‘विराट’
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