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ज़माने भर की तकलीफ़ें बहुत तकलीफ़ देती हैं…,
अभी ग़ुरबत की ये कीलें बहुत तकलीफ़ देती हैं…।
ये रोते हैं,बिलखते हैं,तड़पते हैं,सिसकते हैं…,
भूखे बच्चों की ये चीखें बहुत तकलीफ़ देती हैं…।
अभी फ़ुटपाथ पर रहते हैं जिनका घर नहीं कोई…,
सुनो,बरसात की बूँदें बहुत तकलीफ़ देती हैं…।
किसी के नाम का सिक्का कभी दुनिया में चलता था…,
उसे सिक्कों की वो यादें बहुत तकलीफ़ देती हैं…।
ख़ुदा फ़रियाद ‘सोनू’ की कभी भी क्यों नहीं सुनता…,
ख़ुदाई की सभी बातें बहुत तकलीफ़ देती हैं…॥
#सोनू कुमार जैन
परिचय : १९८६ में जन्मे सोनू कुमार जैन,सहारनपुर के रामपुर मनिहारान (उत्तरप्रदेश) के निवासी हैं। सहारनपुर जिले में सरकारी अध्यापक के पद पर कार्यरत हैं। इन्होंने बीएससी के पश्चात बीएड,एमए(अंग्रेजी साहित्य)किया और अब हिन्दी साहित्य से एमए कर रहे हैं। मुक्तक,कविता,गीत, ग़ज़ल,नज़्म इत्यादि लिखते हैं। योग विधा से भी वर्षों से जुड़े हुए हैं और मंचों से योग प्रशिक्षण एवं योग शिविर इत्यादि संचालित करते हैं।
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